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आजीवन कारावास की सजा की सजा रद्द, 24 साल बाद बरी हुए महिला की हत्या के आरोपी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक महिला की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए 24 साल बाद बरी कर दिया है। ठाणे कोर्ट ने 1998 में इस मामले से जुड़े आरोपी लड्क्या भुरभुरा व मंजी तुमबडा को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी। जिसके खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ के सामने अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि मृत महिला शिकायतकर्ता की दूसरी पत्नी थी। घटना के दिन वह अपने पति के साथ घर में सो रही थी। तभी रात के समय तीन लोग उसके घर में घूसे और शिकायतकर्ता से पूछा कि वह अपने गांव क्यों नहीं आया। इस दौरान बात बढ गई और महिला का पति (शिकायतकर्ता) घर से बाहर आ गया। इसी बीच आरोपियों ने महिला की हत्या कर दी।
खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने व प्रकरण से जुड़े गवाहों पर गौर करने के बाद पाया कि महिला की मौत से जुड़े गवाहों के बयान में काफी विरोधाभास नजर आ रहा है। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत सजा को कायम रखने के लिए गवाही का पुष्ट व प्रमाणिक होना जरुरी है। लेकिन इस मामले में महिला की मौत रहमस्य लग रही है। महिला को बचाने की बजाय उसका पति झोपड़े से भाग गया। इसके अलावा मामले से जुड़े गवाहों की गवाही विश्वसनीय नहीं लगती है। इसलिए इसे मामले में आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाता है और उन्हें सुनाई गई अजीवन कारावास की सजा को रद्द किया जाता है।
Created On :   9 Feb 2022 8:44 PM IST