नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी पाखंडी बाबा को आजीवन कारावास 

Life imprisonment to the hypocritical Baba accused of raping a minor
नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी पाखंडी बाबा को आजीवन कारावास 
नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी पाखंडी बाबा को आजीवन कारावास 

डिजिटल डेस्क सतना। कालसर्प योग की बाधा दूर करने के नाम पर नाबालिग से दुष्कर्म करने और उसी की 2 अन्य सगी बहनों से छेडख़ानी करने के आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एससी-एसटी एक्ट के स्पेशल जज अजीत सिंह की अदालत ने 55 साल के पाखंडी बाबा नारायण स्वरूप त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी को 16 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। 
नाबालिग थी पीडि़ता 
अभियोजन के पीआरओ हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि पीडि़तों की मां ने बेटियों  के कालसर्प योग का दोष दूर कराने के लिए  वर्ष 2019 की 9 दिसंबर को  बाबा नारायण स्वरूप त्रिपाठी पिता प्रहलाद (55) निवासी नादन थाना देहात को बुलाया था। आरोपी इससे पहले भी पूजा पाठ कराने के लिए पीडि़ता के घर जाया करता था।  पीडि़त परिवार को उस पर आस्था थी। दोपहर 3 बजे आरोपी ने  
कालसर्प योग पूजा के लिए तीनों बहनों को कमरे में अलग-अलग बुलाया। सबसे बाद में पूजा के लिए कमरे में गई नाबालिग से पूजा कराने के नाम पर आरोपी नारायण स्वरूप त्रिपाठी ने दुष्कर्म किया। आरोप है कि विरोध करने पर आरोपी ने  
पूरे परिवार को जान से खत्म कर देने की धमकी  दी। मगर, पीडि़ता डरी नहीं और उसने घटना की जानकारी नादन देहात थाने को दी। आरोपी नारायण स्वरूप  
के खिलाफ नादन थाने में एससी एसटी एक्ट की धारा 354 (क) (ख) सहपठित धारा 3 (1) (ब), पाक्सो एक्ट की धारा 3/5,7/8, 9/10 और आईपीसी की दफा 376 (2-च) तथा 376 (3) के तहत अपराध दर्ज किया गया।  
3 दिन में चालान दाखिल
अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज इस प्रकरण की विवेचना मैहर के तत्कालीन एसडीओपी हेमंत शर्मा को दी गई। पुलिस विवेचना में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। एसडीओपी ने महज 3 दिन के अंदर संपूर्ण विवेचना करते हुए चालान कोर्ट में दाखिल कर दिया। छेडख़ानी, दुष्कर्म और लैंगिक हमले की पीडि़तों को अदालत ने आरोपी से 
16 हजार का प्रतिकर दिलाने के भी आदेश दिए हैं।   
रहम की अपील खारिज 
अदालत ने दोष सिद्ध पाए गए आरोपी के सजा में रहम की अपील को नकार दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने पीडि़त परिवार के विश्वास को भंग कर आर्थिक और मानसिक शोषण के साथ नाबालिग  के साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना कृत्य किया है। आरोपी धार्मिक आस्था के साथ नहीं, बल्कि पाखंड के चलते पूजा-पाठ कर रहा था। ऐसेे में वह सहानुभूति और दया का पात्र नहीं है। 

Created On :   2 March 2021 12:01 PM GMT

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