पत्नी को जलाकर मारनेवाले पति के आजीवन कारावास की सजा बरकार

Life sentence of husband who burnt his wife to death
पत्नी को जलाकर मारनेवाले पति के आजीवन कारावास की सजा बरकार
हाईकोर्ट पत्नी को जलाकर मारनेवाले पति के आजीवन कारावास की सजा बरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शराब खरीदने के लिए दो सौ रुपए न देने पर पत्नी जलाकर मारनेवाले आरोपी पति कि आजीवन कारावास की सजा को बरकार रखा है। मुंबई सत्र न्यायालय ने इस मामले में आरोपी दशरथ ससाने को फरवरी 2015 में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ ससाने ने हाईकोर्ट में अपील की थी। 

न्यायमूर्ति अजय गड़करी व न्यायमूर्ति एमएन जाधव की खंडपीठ के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी ने सितंबर 2013 को पत्नी के काम से लौटने के बाद पत्नी से दो सौ रुपए शराब खरीदने के लिए मांगे थे। किंतु आरोपी की पत्नी शर्मिला ने पैसे देने से मना कर दिए। इससे नाराज आरोपी ने पहले पत्नी के साथ गाली  गलौच की इसके बाद उसके ऊपर मिट्टी का तेल डाल दिया और फिर आरोपी ने धमकी दी की पैसे न मिलने पर वह उसे(शर्मीला) जला देगा। इसके बवाजूद शर्मिला ने  आरोपी को पैसे देने से मना कर दिया।

इससे नाराज आरोपी ने माचिस की तिली से शर्मिला को जला दिया। शर्मिला के शोर के बाद पडोस के लोग आए और फिर शर्मिला को इलाज के लिए मुंबई के केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरोपी के खिलाफ दादर पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज किया गया। मामले से जुड़े दस गवाहों व शर्मिला की ओर मौत से पहले दिए गए बयान पर गौर करने के बाद सत्र न्यायालय ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने  आरोपी की पत्नी की ओर से मौत से पहले दिए गए बयान की वैधता पर सवाल उठाए। आरोपी के वकील ने कहा कि बयान देते समय शर्मिला सचेत अवस्था में थी की नहीं इसको लेकर डाक्टर ने कोई प्रमाण नहीं दिया है। इसलिए इस बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी को दोषी ठहराने वाला सत्र न्यायालय का फैसला सही है। इसलिए इसे कायम रखा जाए। 
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित किया है। खंडपीठ ने कहा कि शर्मिला की ओर से मृत्यु से पहले दिया गया बयान मेडिकल दस्तावेजों के अनुरुप है। खंडपीठ ने कहा कि मामले से जुड़े तथ्य दर्शाते है कि शर्मिला ने आरोपी को शराब खरीदने के लिए पैसे देने से मना कर दिया था। इसलिए उसने उसकी हत्या की थी। इस तरह खंडपीठ ने आरोपी की सुनवाई गई सजा को कायम रखा और उसकी अपील को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   13 Sept 2022 9:19 PM IST

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