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लोकायुक्त द्वारा एफआईआर सार्वजनिक न किए जाने को चुनौती
डिजिटल डेस्क जबलपुर । लोकायुक्त द्वारा दर्ज की जाने वाली एफआईआर पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक न किए जाने को चुनौती देकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। मंगलवार को चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष लोकायुक्त की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके इससे छूट प्रदान की है। इस पर युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा है कि इस बारे में वह एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करे।
व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी
यह याचिका जबलपुर के विशाल बागड़ी की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि दंप्रसं की धारा 156 के तहत दर्ज होने वाली सभी एफआईआर को सार्वजनिक किए की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद सीबीआई जैसी शीर्ष जांच एजेन्सी ने दर्ज होने वाली एफआईआर को सार्वजनिक करना शुरु कर दिया। आरोप है कि लोकायुक्त संगठन द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद भी सार्वजनिक नहीं की जा रहीं हैं। आरोप यह है कि यदि एफआईआर सार्वजनिक होने लगेगी, तो वहां पर प्राथमिकी की कॉपी के नाम पर आरोपित तौर पर की जाने वाली लूट घसोट बंद हो जाएगी। इन आधारों के साथ दायर याचिका में लोकायुक्त संगठन को आवश्यक निर्देश दिए जाने की राहत हाईकोर्ट से चाही गई है। मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता निशांत जैन और लोकायुक्त की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी हाजिर हुए। श्री अवस्थी ने युगलपीठ को बताया कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके लोकायुक्त को एफआईआर सार्वजनिक करने से छूट प्रदान की है। उक्त अधिसूचना पर युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को पक्ष रखने कहा है।
Created On :   20 Nov 2019 1:12 PM IST