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महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष की सुनवाई 29 नवंबर तक टली
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना टूटने के बाद उभरे सत्ता संघर्ष को लेकर प्रतिद्वंदी समूहों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी है। शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों से मामले के जरूरी दस्तावेज पूरा करने और जिन मुद्दों पर सुनवाई होनी हैं उन्हें चार सप्ताह के भीतर तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि हर पक्ष यह भी तय करे कि किस मुद्दे पर कौन जिरह करेगा, ताकि सुनवाई को तेजी से निपटाया जा सके। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ के समक्ष आज शिवसेना को तोड़कर अपना अलग गुट बनाने वाले एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री पद वैध है कि नहीं, इस मसले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट द्वारा मामले में जरुरी दस्तावेज दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगे जाने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी।
मामले में एक और पक्षकार की हुई एंट्री
बहरहाल, मामले में दाखिल हुई कई याचिकाओं में आज एक और याचिका जुड़ गई। याचिकाकर्ता डॉ विश्वंभर चौधरी, रंजन बेलखोडे और सौरभ ठाकरे की ओर से एड असीम सरोदे ने यह हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इसमें नागरिक और मतदाताओं के पक्ष को भी सुने जाने का अनुरोध किया गया है। जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने वकील सरोदे की दलील को स्वीकार किया और अगली सुनवाई में उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति दे दी। वकील सरोदे ने कहा कि दलबदल विरोधी कानून के इस मामले में मतदाताओं के पक्ष को सुने जाने की भारत के न्यायिक इतिहास की यह पहली घटना होगी।
सरोदे ने कहा कि हस्तक्षेप याचिका में कई संवैधानिक मुद्दों को उठाया गया है। इसमें शिंदे-फडणवीस को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देना संवैधानिक है क्या? विधानसभा अक्ष्यक्ष को नोटिस ऑफ रिमुवल देणे की प्रक्रिया निश्चित की जाए, विधायकों को अयोग्यता की नोटिस जारी की गई हो तो अयोग्यता की कार्रवाई कितने दिन तक लंबित रहने पर फ्लोअर टेस्ट की जानी चाहिए, जिनके खिलाफ अयोग्यता के नोटिस जारी किए गए और अयोग्यता की कार्रवाई का जो सामना कर रहे है वे फ्लोर टेस्ट में शामिल हो सकते है क्या? ऐसे कई सवाल याचिका में उठाए गए है।
Created On :   1 Nov 2022 8:25 PM IST