प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने एनआईए कोर्ट पहुंचा मालेगांव बम विस्फोट का पीड़ित, सोहाराबुद्दीन मामले पर भी हाईकोर्ट में अपील

Malegaon bomb blast victim reached NIA court to prevent Pragya from contesting election
प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने एनआईए कोर्ट पहुंचा मालेगांव बम विस्फोट का पीड़ित, सोहाराबुद्दीन मामले पर भी हाईकोर्ट में अपील
प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने एनआईए कोर्ट पहुंचा मालेगांव बम विस्फोट का पीड़ित, सोहाराबुद्दीन मामले पर भी हाईकोर्ट में अपील

डिजिटल डेस्क, मुंबई। साल 2008 में मालेगांव में हुए बम धमाके में अपने बेटे की जान गंवाने वाले पिता ने गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत में एक आवेदन दायर किया है। निसार अहमद सैय्यद बिलाल ने अपने आवेदन में कोर्ट से आग्रह किया है कि इस धमाके की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लोकसभा का चुनाव लड़ने से रोका जाए। साध्वी भारतीय जनता पार्टी की टिकट से भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। 29 सिंतबर 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में पांच लोग मारे गए थे। जिसमे एक बिलाल का बेटा अजहर भी शामिल था। आवेदन में बिलाल ने कहा है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह के खिलाफ अभी भी आतंकी कृत्य में शामिल होने का मुकदमा चल रहा है। उनकी जमानत पर रिहाई के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है। इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत न दी जाए। इससे पहले भी बिलाल ने एक आवेदन दायर कर कहा था कि साध्वी स्तन कैंसर होने का हवाला देकर कोर्ट में अनुपस्थित रहती है लेकिन चुनावी कार्यक्रमों में सक्रियता के साथ उपस्थित होती हैं। आवेदन में कहा गया है कि साध्वी को चुनाव लड़ने से रोका जाए और धमाके से जुड़े मुकदमे की अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाए। 

सोहाराबुद्दीन मामले से 22 लोगों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में अपील

इसके अलावा सोहाराबुद्दीन व उसकी पत्नी कौसर बी की फर्जी मुठभेड मामले से 22 लोगों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में अपील की गई है। यह अपली सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन दायर की है। सीबीआई कोर्ट ने 21 दिसंबर 2018 को पर्याप्त सबूतों के अभाव में इस मामले के 22 आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने साफ अपने फैसले में साफ किया था कि अभियोजन पक्ष इस मामले से जुड़े आरोपियों पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित नहीं कर पाया है। इसलिए आरोपियों को बरी किया जाता है। सोहराबुद्दीन मामले से जिन आरोपियों को बरी किया गया है उसमे ज्यादातर पुलिसकर्मी थे। निचली अदालत के आदेश को खामीपूर्ण बताते हुए रुबाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में अपील की है। गौरतलब है कि सोहाराबुद्दीन शेख नवंबर 2005 में अहमदाबाद में पुलिस मुठभेड के दौरान मारा गया था। 

Created On :   18 April 2019 2:21 PM GMT

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