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फलों का राजा आम भी फँसा बंदिशों में - लोकल कैरी, अचार वाला आम भी गायब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । बादाम, तोतापरी और हापुस जैसे आम तो कम दिख ही रहे हैं, साथ ही इस लॉकडाउन में लोकल आम भी पूरी तरह से गायब दिख रहे है। कैरी जो सामान्य तौर पर अप्रैल, मई में चटनी, पना बनाने में काम आती है उसके दाम भी आसमान को छू रहे हैं। अचार के लिए जो कच्चा आम उपयोग में लाया जाता है, उसका स्थानीय सप्लाई भी पूरी तरह से नदारद है। कुल मिलाकर इस लॉकडाउन ने फलों के राजा आम पर बंदिश कुछ ज्यादा ही लगा दी गई है। दक्षिण, उत्तर भारत से आने वाले आमों का कम मिलना और इनकी सप्लाई अभी के दौर में प्रभावित होना स्वाभाविक है पर कैरी जो आम तौर पर कच्चे खाने, पना, चटनी व अचार के उपयोग में लाई जाती है वह गायब है, इसे लेकर लोग आश्चर्य चकित हैं। जो थोड़ा बहुत माल गाँवों से आ रहा है वह भी एकदम ऊँचे दामों पर बिक रहा है।
शहर में ऐसे इलाके जहाँ पर ठेले वाले आसानी से घूम सकते हैं, वहाँ तो फिर भी 20 से 40 रुपए पाव तक कच्चा आम बिक रहा है पर एकदम दूर इलाकों में तो इसकी बहुत ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। जो बेच रहे हैं उनके पास भी इसकी मात्रा एकदम सीमित है। सब्जी व्यवसायी देशराज िसंह कहते हैं कि फल वाले ज्यादातर कैरी या कच्चे आम नहीं बेचते ये सब्जी दुकानों में बेचे जाते हैं। सब्जी की दुकानें स्थाई तौर पर लग नहीं रहीं और ठेले वाले इनको ज्यादा बेचना नहीं चाहते हैं, जिससे भी ये कम दिख रहे हैं, साथ ही लोकल कच्चा आम इस बार एकदम सीमित मात्रा में भी आ रहा है, जिससे लोगों तक यह नहीं पहुँच पा रहा है। संभव है िक लॉकडाउन यदि मई के बाद खुल जाए तो यह बाजारों में आसानी से मिल सकेगा।
Created On :   8 May 2020 3:25 PM IST