हाइपरटेंशन बना साइलेंट किलर, तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या

Many deaths in maharashtra due to the hypertension
हाइपरटेंशन बना साइलेंट किलर, तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या
हाइपरटेंशन बना साइलेंट किलर, तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2016 में महाराष्ट्र में 1 लाख 78 हजार लोगों की मौत हाई ब्लड प्रेशर कारण हुई थी। देश के राज्यों में यह तीसरी सबसे बड़ी संख्या है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के आंकड़ों से साफ है कि महाराष्ट्र में होने वाली असामयिक मौत के मामलों में हाइपरटेंशन मौत सबसे बड़ा कारण है। यही नहीं, वर्ष 1990 से 2016 के बीच इससे होने वाली मौत के मामलों में 42 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई है। राज्य में फिलहाल हाइपरटेंशन का फैलाव 25 फीसदी है और इसमें जिला स्तर पर काफी  विभिन्नता है। धुले और गड़चिरोली जैसे निम्न मानव विकास सूचकांक वाले जिलों में इसका प्रसार कम और मुंबई और सतारा जैसे उच्च मानव विकास सूचकांक वाले जिलों में ज्यादा है। इसके साथ ही महिलाओं (53.6 फीसदी) में पुरुषों (45.4 फीसदी) अपेक्षा अधिक प्रसार है। तेजी से बढ़ती इस समस्या के लिए खानपान की आदतें जिम्मेदार हैं। भोजन में ट्रांसफैटी हाइपरटेंशन से मौत के खतरे को 4 फीसदी तक बढ़ा सकती है। तेजी से पांव पसारते इस साइलेंट किलर से बचने के लिए तत्काल एक्शन और जागरूकता बढ़ाए जाने की जरूरत है। उपरोक्त विचार दिशा फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यशाला में सामने आए। 

इन्होंने भी रखी अपनी बात
कार्यशाला में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विशेषज्ञ, नीति निर्धारक और मीडियाकर्मी शामिल हुए। कार्यक्रम में  डॉ. अभिषेक कुंवर (नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डब्ल्यूएचओ ऑफिस फॉर इंडिया), डॉ. संजीव कुमार (विभागीय आयुक्त), डॉ. इरम राव (एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी), असीम सान्याल (कंज्यूमर वॉयस), डॉ. अंजलि बोराडे (दिशा फाउंडेशन की अध्यक्ष), डॉ. शुभेजीत डे (दिशा फाउंडेशन), मनोज तिवारी (सीनियर फूड इंस्पेक्टर, नागपुर),  जयश्री पेंडारकर (पोषण विशेषज्ञ) ने अपने विचार रखे।

हर साल 77 हजार से ज्यादा जिंदगी बचाना संभव
कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का एक प्रमुख कारण खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला ट्रांसफैट है। देश में खाद्य पदार्थों से इसे हटाकर हर वर्ष 77 हजार 130 लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। इनमें 8253 महाराष्ट्र के होंगे। यह संख्या राज्यवार दूसरी होगी। राज्य में हर वर्ष हार्ट डिजीज के कारण होने वाली मौतों में 4.12 फीसदी ट्रांसफैट के कारण होते हैं। इसे कम करने के लिए जरूरी है कि ट्रांसफैट उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयांे को कम से कम किया जाए। इसके साथ लोगों को इससे होने वाली हानियों के प्रति जागरूक किए जाने की भी जरूरत है। ट्रांसफैट को आसानी से स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्पों से बदला जा सकता है। आज दुनिया के कई देश ट्रांसफैट फ्री हो चुके हैं।  -डॉ. इरम राव, एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी

जांच यंत्राें का अभाव
खाद्य पदार्थों में ट्रांसफैट को प्रभावी रूप से कम करने के लिए नियमित कार्रवाई जरूरी है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने वर्ष 2020 तक तेल में ट्रांसफैट की मात्रा 2 फीसदी तक सीमित  करने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि राज्य ही नहीं, देश में भी अब भी ट्रांसफैट की जांच करने वाली यंत्राें का भारी अभाव है।   -असीम सान्याल, कंज्यूमर वॉयस

राज्य के चार जिलों में आईएचसीआई शुरू
देश में गैर-संक्रामक बीमारियों में हाइपरटेंशन सबसे प्रमुख कारणों में से है। बड़े स्तर पर इसका उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनेटेटिव प्रोग्राम (आईएचसीआई) शुरू कर रही हैं। इसके तहत महाराष्ट्र में पहले चरण में भंडारा, वर्धा, सतारा और सिंधुदुर्ग का चयन किया गया है। कार्यक्रम के तहत हाइपरटेंशन के मरीजों की पहचान और उन्हें स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से सामुदायिक स्तर पर पीबीएस(पापुलेशन बेस्ड स्क्रीनिंग) के तहत हाइपरटेंशन व डायबिटीज के मरीजों की पहचान की जा रही है। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़े हुए बीपी वाले लोगों की समय पर पहचान और उन्हें नियमित दवा उपलब्ध कराना है।
-डॉ. अभिषेक कुंवर, नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डब्ल्यूएचओ ऑफिस फॉर इंडिया

नागपुर में लगभग तीन लाख लोगों को उच्च रक्तचाप 
महाराष्ट्र में 66 फीसदी मौत के मामलों में कारण गैर-संक्रामक बीमारियां होती हैं। शहर में लगभग तीन लाख लोग बढ़े हुए बीपी के साथ जी रहे हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर इससे अनजान हैं। लोगों में जागरूकता बढ़ाकर उन्हें उपचार के लिए प्रेरित किया जा सकता है। सरकारी स्वास्थ्य सेवा के तहत काफी कम दर पर उपचार व दवाइयां उपलब्ध हैं। इसके लिए सरकार के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। बीपी चेक करने की सुविधा को सामुदायिक व घरेलू स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है।  -डॉ. संजीव कुमार विभागीय आयुक्त, नागपुर

Created On :   17 July 2019 8:20 AM GMT

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