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Nagpur News: गोंडवाना विश्वविद्यालय से मराठी साहित्य विषय को हटाया गया

- इससे प्राध्यापकों की नियुक्ति खतरे में
- प्राध्यापक पदभरती महासंघ का आरोप
Nagpur News गडचिरोली स्थित गोंडवाना विश्वविद्यालय ने बी.ए. डिग्री पाठ्यक्रम से मराठी साहित्य विषय को हटा दिया है, जिसके कारण मराठी साहित्य पढ़ाने वाले प्राध्यापकों पर बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2024-25 शैक्षणिक वर्ष से सभी विश्वविद्यालयों में लागू की गई है। गोंडवाना विश्वविद्यालय में मराठी साहित्य को प्रमुख विषय के रूप में बंद कर केवल मराठी भाषा को एकमात्र विषय के रूप में रखा गया है। मराठी साहित्य विषय का कार्यभार शेष न रखने के कारण रिक्त पदों पर तदर्थ (अंशकालिक) प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं हो सकी। महाराष्ट्र अंशकालिक प्राध्यापक संगठन और प्राध्यापक पदभरती महासंघ के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद लेंडे खैरगांवकर ने आरोप लगाया है कि गोंडवाना विश्वविद्यालय में भविष्य में इन नियुक्तियों पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।
यह गौरवशाली परंपरा को संरक्षित करने वाला विषय : डॉ. प्रमोद लेंडे खैरगांवकर ने कहा, महाराष्ट्र सरकार ने चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों में स्नातक और स्नातकोत्तर महाविद्यालयों को मिलाकर गोंडवाना विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। गडचिरोली भले ही गोंडवाना क्षेत्र है, लेकिन यह महाराष्ट्र का अभिन्न हिस्सा है। महाराष्ट्र की भाषा मराठी और इसकी साहित्यिक परंपरा का अध्यापन मराठी भाषा की गौरवशाली परंपरा को संरक्षित करने वाला विषय है।
यह विषय अब तक राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता रहा है। मराठी साहित्य ने कई साहित्यकारों, समीक्षकों, कलाकारों, कवियों और गीतकारों को तैयार किया है। वास्तव में, सरकार ने मराठी विषय के अध्यापन का कार्यभार मराठी भाषा और मराठी साहित्य के रूप में निर्धारित किया है। लेकिन गोंडवाना विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे ने सरकार के इस कार्यभार को नजरअंदाज करते हुए बी.ए. डिग्री में मराठी साहित्य विषय को बंद कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप मराठी साहित्य पढ़ाने वाले प्राध्यापकों का कार्यभार ही समाप्त हो गया है।
यह मराठी लोगों का अपमान : डॉ. प्रमोद लेंडे खैरगांवकर ने यह भी कहा की, केंद्र सरकार ने मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया है। राज्य सरकार ने विदर्भ के रिद्धपुर में मराठी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। लेकिन उसी सरकार के अधीन यह विश्वविद्यालय और इसके कुलगुरु मराठी भाषा, साहित्य, संस्कृति और इस भाषा में पढ़ाने वाले प्राध्यापकों के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं। यह महाराष्ट्र के मराठी लोगों का अपमान है। सरकार को इसे रोकना चाहिए।
Created On :   8 July 2025 3:28 PM IST