Nagpur News: पाठ्यक्रम में शामिल किया गया मराठी नाटक गटार , गोंडवाना यूनिवर्सिटी की पहल

पाठ्यक्रम में शामिल किया गया मराठी नाटक गटार , गोंडवाना यूनिवर्सिटी  की पहल
  • नागपुर के कलाकारों की एक और उपलब्धि
  • छात्रों में स्वतंत्रता की सोच विकसित करना उद्देश्य

Nagpur News मराठी रंगमंच के चर्चित ‘गटार' नाटक ने अपनी उपलब्धियों में एक और सफलता हासिल कर नागपुर को गौरान्वित किया है। इस वर्ष के शैक्षणिक सत्र से बी. ए. सेकंड सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में ‘गटार’ को शामिल किया गया है। यह पहल गड़चिरोली स्थित गोंडवाना विश्वविद्यालय ने की है। इस नाटक की खास बात यह है कि नागपुर के प्रख्यात रंगकर्मी वीरेंद्र गणवीर के इस नाटक में शहर के कलाकरों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है। कलात्मक अभिव्यक्ति के बल पर ‘गटार’ ने अब तक 115 मंचन और 112 पुरस्कार अपने नाम किए हैं। इस नाटक को अमोल पालेकर, प्रो. महेश एलकुंचवार, डॉ. यशवंत मनोहर जैसे नामचीन रंगकर्मियों और आलोचकों ने भी सराहा है।

स्टूडेंट्स में बढ़ेगी जागरूकता : विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि ‘गटार’ पाठ्यक्रम का हिस्सा बनकर न केवल विद्यार्थियों में सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की समझ को मजबूत करेगा, बल्कि रंगमंच के प्रति गहरी जागरूकता भी पैदा करेगा। नाटक के माध्यम से जाति व्यवस्था और उससे जुड़ी बेड़ियों पर सवाल उठाने की परंपरा नई पीढ़ी में बौद्धिक जिज्ञासा और बदलाव की चिंगारी जगा सकती है। रवि के संघर्ष की तरह ही छात्रों में भी स्वतंत्र सोच विकसित हो, यही इस पहल का असली उद्देश्य है।

जाति व्यवस्था पर प्रहार : ‘गटार’ शब्द उस रेखा का प्रतीक है, जो समाज की गंदगी यानी सीवर को ढोती है। नाटक में यह दिखाया गया है कि परंपरा से सीवर सफाई जैसे काम करने वाले लोग खुद गटर बन चुके हैं और उनकी जिंदगी-मौत सीवरेज के अंधेरे से ही नियंत्रित होती है। कहानी में बाबा, अम्मा, गौतम और यादव जैसे पात्र वर्तमान पीढ़ी को दर्शाते हैं, जबकि उनके पूर्वज गटर का भूतकाल हैं। अंत में इन पात्रों की मृत्यु इस बात को रेखांकित करती है कि जाति से बंधा व्यापार जीवन को कैसे निगल जाता है। मगर इसी अंधेरे से निकलती है उम्मीद की किरण रवि के रूप में, जो इस व्यवस्था को बदलने का साहस जुटाता है।

Created On :   8 July 2025 1:39 PM IST

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