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वारली को लोकप्रिय बनाने वाले कलाकार मशे का निधन, राज्यपाल और सीएम ने जताया शोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। वारली चित्रकला को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले जनजातीय कलाकार जिव्या सोमा मशे का निधन हो गया। 84 वर्षीय मशे ने सोमवार देर रात मुंबई से करीब 150 किलोमीटर दूर डहाणू के अपने गंजड गांव में आखिरी सांस ली। पद्मश्री से सम्मानित मशे का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। ठाणे के आदिवासी वारली समुदाय की महिलाएं शादियों के मौके पर खूबसूरत चित्रकारी करतीं थीं। इसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मशे ने 13 साल की उम्र में परंपरा तोड़ते हुए खुद वारली पेंटिंग बनाने का फैसला किया।
मशे उस वक्त सुर्खियों में आए जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आदिवासियों में मौजूद हुनर को खोजकर उसे दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया। मशे अपनी पेंटिंग लेकर दिल्ली पहुंचे जहां 1976 में उन्हें प्रेसिडेंट मेडल दिया गया। इसके बाद उन्होंने दुनिया के विभिन्न देशों का दौरा किया जहां आर्ट गैलरी में उनकी कला का प्रदर्शन किया गया।
मशे ने स्थानीय पेड़ पौधों को भी वारली समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली चित्रकला का हिस्सा बना दिया था। मशे लोगों को भी चित्रकला सिखाते थे। उनके दोनों बेटे भी इस कला में माहिर हैं। राज्यपाल सी विद्यासागर राव और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मशे के निधन पर शोक जताया है।
Created On :   15 May 2018 7:33 PM IST