विधायकों का निलंबन रद्द करने सुप्रीम कोर्ट  के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन 

Memorandum to the President against the decision of the Supreme Court to cancel the suspension of MLAs
विधायकों का निलंबन रद्द करने सुप्रीम कोर्ट  के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन 
पुनर्विचार की मांग  विधायकों का निलंबन रद्द करने सुप्रीम कोर्ट  के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भाजपा के 12 निलंबित विधायकों का निलंबन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर के नेतृत्व में पीठासीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में कहा है किसुप्रीम कोर्ट का फैसला विधानमंडल के अधिकारों पर दखल देने जैसा है। साथ ही राष्ट्रपति से भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के जरिए अधिकारों का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। 

नाईक-निंबालकर के साथ विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाल और विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे मौजूद थीं। पीठासीन अधिकारियों ने ज्ञापन में कहा है किसुप्रीम कोर्ट का 28 जनवरी 2022 के फैसले का हम आदर करते हैं लेकिन यह फैसला संविधान के प्रावधानों विशेष रूप से अनुच्छेद 190 और 194 के अलावा अनुच्छेद 212 के प्रावधानों से सुसंगत नहीं है। यह आदेश श्री केशवानंद भारती विरुद्ध केरल सरकार प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उल्लेखित संविधान के मूलभूत दायरे से सुसंगत नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला विधानमंडल के अधिकारों को संकुचित करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलेसे केवल देश के विधानमंडलों बल्कि संसद के अधिकार क्षेत्र में बाधा पहुंची है। इसलिए इस फैसले पर 

परामर्श लेकर सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करने का निर्देश दें।इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने विधानसभा के तत्कालीन तालिकाअध्यक्ष भास्कर जाधव से दुर्व्यवहार करने के मामले में एक साल के लिए निलंबित किए गए भाजपा के 12 विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया था। 

Created On :   12 Feb 2022 5:54 PM IST

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