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प्रवासी मजदूरों को पहले से मेडिकल सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं, यात्रा के समय होगा टेस्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों के लिए डॉक्टर से प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। मजदूरों को हो रही परेशानी, उनसे मनमाने पैसे वसूलने की शिकायत और जांच के लिए डॉक्टरों के पास लोगों की भारी भीड़ के चलते सरकार ने यह फैसला किया। गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव अजोय मेहता ने जो आदेश जारी किया है इसके मुताबिक अब यात्रा के समय ही प्रवाशी मजदूरों का मेडिकल टेस्ट होगा।
इससे पहले राज्य सरकार ने प्रवाशी मजदूरों की वापसी की प्रक्रिया के लिए पुलिस स्टेशनों में जमा किए जा रहे आवेदन के साथ डॉक्टर का प्रमाणपत्र भी देना होता था। अगर डॉक्टर यह प्रमाणित करें कि आवेदन करने वाले व्यक्ति में इन्फ्लूएंजा (बुखार) के लक्षण नहीं हैं तो ही यात्रा की इजाजत दी जाती थी। सरकार के इस आदेश के बाद सर्टिफिकेट के लिए डॉक्टरों के पास प्रवासी मजदूरों की लंबी कतारें लगने लगीं। कई मजदूरों का आरोप था कि ऐसे समय जब लॉकडाउन के चलते उनका कामकाज ठप है और वे भुखमरी के कगार पर हैं। डॉक्टर उनसे मोटी फीस वसूल रहे हैं।
शिकायतों के बाद सरकार ने कुछ ठिकानों पर मुफ्त जांच की व्यवस्था की तो वहां भारी भीड़ हो गई और कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया। इन परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार ने आखिरकार मेडिकल प्रमाणपत्र की अनिवार्यता खत्म कर दिया। आदेश में कहा गया है कि 1 मई को जारी आदेश की वह शर्त खत्म कर दी गई है जिसके मुताबिक यात्रा के लिए प्रवाशी मजदूरों को रजिस्टर्ड डॉक्टरों से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लेना जरुरी था। अब महानगर पालिका यात्रा से पहले गृहराज्य लौट रहे प्रवासी मजदूरों की एक साथ जांच कराएगी। इसके लिए मजदूरों को पैसा नहीं देना होगा। जांच के बाद सभी मजदूरों की एक साथ सूची बनेगी व्यक्तिगत रूप से किसी को मेडिकल सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी।
Created On :   7 May 2020 6:38 PM IST