सिर्फ मंत्रियों के दुग्ध संघों से हो रही 25 रुपए में दूध की खरीदारी - खोत

Milk purchase for only 25 rupees from milk unions of ministers - Khot
सिर्फ मंत्रियों के दुग्ध संघों से हो रही 25 रुपए में दूध की खरीदारी - खोत
सिर्फ मंत्रियों के दुग्ध संघों से हो रही 25 रुपए में दूध की खरीदारी - खोत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। रयत क्रांति संगठन के संस्थापक तथा पूर्व कृषि राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की 25 रुपए प्रति लीटर की दर से दूध की खरीदी योजना केवल महाविकास आघाड़ी सरकार के मंत्रियों से जुड़े दुग्ध संघों के लिए है। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में खोत ने कहा कि सरकार के सिर्फ दिग्गज मंत्रियों से संबंधित सहकारी दुग्ध संघों में ही 25 रुपए प्रतिलीटर की दर से दूध खरीद हो रही है। उन्होंने कहा कि बारामती के सहकारी दुग्ध संघ में 1 लाख लीटर, कात्रज में 1 लाख लीटर, संगमनेर में 1 लाख लीटर, सांगली के वालवा में 20 हजार लीटर, औरंगाबाद में 10 हजार लीटर, भंडारा में 20 हजार लीटर, सालापुर के शिवामृत दूध संघ में 20 हजार लीटर दूध खरीदी की जा रही है। इसमें से अधिकांश दुग्ध संघों पर सत्ताधारी मंत्रियों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि राज्य की 288 तहसीलों में दूध उत्पादन होता है लेकिन सिर्फ 10 तहसीलों में ही सरकारी कीमत पर किसानों से दूध खरीदा जा रहा है। ऐसे में बाकी के तहसीलों के दूध उत्पाद किसान कहां पर जाएंगे? इन तहसीलों के किसानों को केवल 20 रुपए प्रति लीटर की दर पर दूध बेचना पड़ रहा है। 

10 नहीं केवल पांच लाख लीटर दूध की हो रही खऱीदारी

खोत ने कहा कि सरकार ने प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध खरीदने की घोषणा की है लेकिन हर दिन केवल 5 लाख लीटर दूध खरीदा जा रहा है। खोत ने कहा कि सरकार से दूध उत्पादक किसानों के लिए 10 रुपए प्रति लीटर की दर से अनुदान देने और दूध पावडर के लिए 50 रुपए प्रति किलो की दर से अनुदान की मांग की गई है लेकिन सरकार ने अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया है। इसलिए भाजपा के नेतृत्व में महायुति के घटक दल 1 अगस्त को आंदोलन करेंगे। खोत ने कहा कि 1 अगस्त को दूध संकलन बंद कर दिया जाएगा। जो दूध के टैंकर सड़कों पर नजर आएंगे उसे वापस लौटा दिया जाएगा। खोत ने कहा कि राज्य में 46 लाख दूध उत्पाद किसान हैं। राज्य में उत्पादित होने वाले कुल दूध का केवल 24 प्रतिशत दूध सहकारी दुग्ध संघ खरीदते हैं। बाकी 76 प्रतिशत दूध बेचने के लिए किसानों को निजी दुग्ध संघों पर निर्भर रहना पड़ता है। 
 

Created On :   30 July 2020 9:33 PM IST

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