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चिटफंड कंपनी मामले में मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे को राहत

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। चिटफंड कंपनी मामले में मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव को आरोपी बनाने और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस सुशील कुमार पालो की एकलपीठ ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने एकदम साधारण तरीके से दंप्रसं की धारा 319 के तहत याचिकाकर्ता को आरोपी बनाने का आदेश देकर गलती की है।
क्या था मामला ?
दरअसल अभिषेक भार्गव की ओर से दायर इस पुनरीक्षण याचिका में रायसेन की अदालत के 21 सितंबर 2016 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें फरियादी की अर्जी पर उन्हे आरोपी बनाया गया था। मामला श्रद्धा सबुरी कमोडिटी प्रा.लि. नाम से बनी चिटफंड कंपनी का लोगों से धोखाधड़ी करने से संबंधित था। इस मामले में पीड़ितों की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने चिटफंड कंपनी चला रहे 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और जांच में 116 लोगों से करोड़ों रुपए की रकम ठगन के दस्तावेज भी जब्त किए थे। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया था। निचली अदालत में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने के बाद 27 फरवरी 2016 को दंप्रसं की धारा 319 के तहत मामले में अभिषेक भार्गव को भी आरोपी बनाने का आदेश 21 सितंबर 2016 को जारी कर दिया गया। इस आदेश को चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान अभिषेक भार्गव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे और अधिवक्ता प्रमोद ठाकरे ने पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ता को आरोपी बनाए जाने में हुई गलतियों का उल्लेख किया। उनका कहना था कि इस मामले में कोतवाली पुलिस ने एसपी की इजाजत के बिना जांच की है। इसी तरह मुकदमा सिर्फ और सिर्फ जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में चल सकता था, लेकिन ट्रायल एडीजे की कोर्ट में चल रहा है। इन विसंगतियों के मद्देनजर अदालत ने याचिकाकर्ता अभिषेक भार्गव के खिलाफ दर्ज मामले पर अनुचित ठहराते हुए निचली अदालत का आदेश खारिज कर दिया।
Created On :   6 Oct 2017 9:13 AM IST