सेना की जबलपुर फैक्ट्री को निजी कंपनियों को किराए पर देने की तैयारी, जानें कारण

 Ministry of Defense is preparing to lease the Vehicle Factory
सेना की जबलपुर फैक्ट्री को निजी कंपनियों को किराए पर देने की तैयारी, जानें कारण
सेना की जबलपुर फैक्ट्री को निजी कंपनियों को किराए पर देने की तैयारी, जानें कारण

डिजिटल डेस्क जबलपुर। सेना के लिए वाहन बनाने वाली फैक्ट्री का आधा हिस्सा जल्द ही निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए तीन कंपनियों ने अपना प्रेंजेटेशन भी दिया है। बताया जा रहा है कि नॉन कोर के दायरे में आई व्हीकल फैक्टरी के आधे हिस्से को किराए पर सौंपा जा सकता है। 

गौरतलब है कि सुरक्षा संस्थान व्हीकल फैक्टरी जबलपुर (व्हीएफजे) में हाल में तीन बड़ी कंपनियों ने अपना प्रेंजेटेशन दिया। उन्होंने प्रेजेंटेशन देकर वीकल फैक्ट्री में उत्पादन का फॉमूर्ला भी प्रस्तुत किया है। फॉर्मूला यह है कि मैन पावर और मशीनरी फैक्ट्री की ही रहेंगी, लेकिन कंट्रोलिंग निजी हाथों में चली जाएगी। निर्माणी में ऐसे प्रॉडक्ट भी तैयार किए जाएंगे जो सार्वजनिक बाजार मुहैया कराएंगे।डिफेंस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई और गोको मॉडल जैसी नीतियों का असर नजर आने लगा है। 


इन दो प्लांटों पर नजर

व्हीकल फैक्टरी में बेहद गुपचुप तरीके से कुछ प्लांटों को निजी कंपनियों को सौंपे जाने की तैयारी चल रही है। सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में प्राइवेट फर्म की नजर खास तौर पर प्लांट-वन और थ्री पर है। बताया जा रहा है कि ये शुरुआती प्रक्रिया है आगे चलकर और भी सेक्शन में यह फार्मूला लागू किया जा सकता है।

अब तक तीन कंपनियां

व्हीकल फैक्ट्री प्रशासन के सामने अब तक तीन बड़ी कंपनियों ने अपना प्रपोजल रखा है। जानकारों का कहना है कि वाहन निर्माण करने वाली एक कंपनी की ओर से सबसे पहले इस तरह का ऑफर मिला। इसके बाद दो अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपना प्रजेंटेशन दिया है।


एलपीसी की मीटिंग  

फैक्ट्री में गुरुवार को लोकल परचेज कमेटी की मीटिंग हो रही है। सूत्रों का कहना है कि इसमें रिलायंस के अलावा कुछ ट्रैक्टर और अन्य वाहनों की निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। मिनी ट्रक का प्रोजेक्ट 7 कम्युनिकेशन से खासी दखलंदाजी रखने वाली कंपनी रक्षा सेक्टर में उतरने के बाद अब निजी क्षेत्र में फोरव्हीलर्स उत्पादन की योजना पर कार्य शुरू किया है। कंपनी के अधिकारियों ने पिछले दिनों व्हीएफजे प्रशासन के समक्ष अपना प्रजेंटेशन दिया। पता चला है कि कंपनी की प्लानिंग मिनी ट्रक लांच करने की है। प्रोजेक्ट आगे बढ़ता है तो हल्के ट्रकों का उत्पादन व्हीकल फैक्टरी में किया जाएगा।


2019 के बाद काम नहीं 

7 व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के पास वैसे भी 2019 तक का वर्क ऑर्डर है। इसके बाद निर्माणी के पास कोई इंडेंड (उत्पादन आदेश) नहीं है। हालांकि उत्पादन को लेकर व्हीएफजे प्रशासन ने दूसरी निर्माणियों से भी प्रोडक्शन में सहयोग के लिए कुछ पार्ट्स बनाने की संभावना पर प्रयास शुरू किए हैं। जीसीएफ, कानपुर के आलावा मुरादनगर चंडीगढ़ स्थित निर्माणी से लगातार संपर्क किया जा रहा है।


कैसे होगा कंट्रोल
 

  • फॉर्मूला यह है कि निजी कंपनी जिस प्लांट को टेक ओव्हर करेगी उसमें मैनपावर पहले की ही तरह आयुध निर्माणी का ही होगा।
  • प्लांट की मशीनरी का निजी फर्म अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकेगी, प्लांट पर पूरी तरह से प्राइवेट फर्म की कंट्रोलिंग होगी।
  • इन सभी के एवज में प्राइवेट कंपनी कर्मचारियों के वेतन संबंधी खर्चे और मशीनरीज रेंट का भुगतान निर्माणी प्रशासन को करेगी।
  • कर्मचारियों को अवकाश जैसी सुविधाओं के लिए निजी कंपनी से इजाजत लेनी होगी। कंपनी अनुशासनात्मक अनुशंसा कर सकेगी।
  • स्टॉप के वेतन संंबंधी मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने-घटाने का अधिकार होगा।
  • उत्पादन के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धी दरों को बनाए रखने के लिए कर्मचारियों को ओव्हर लोड जैसी स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है।


व्हीएफजे,एजीएम व्हीबी पचनंदा का कहना है कि  प्लांटों को पूरी तरह किसी निजी कंपनी को सौंपने की हाल फिलहाल योजना नहीं है। इतना जरूर है कि कुछ कंपनियों के साथ मिलकर किसी वाहन और उसके पार्ट्स निर्माण के मामले में सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
 

 

 

 

Created On :   14 Dec 2017 2:40 PM IST

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