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पेश हुए विधायक रवि राणा, अदालत ने जारी किया था वारंट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढने की घोषणा के बाद विवादों में आए विधायक रवि राणा सोमवार को मुंबई की विशेष अदालत में पेश हुए। इस दौरान उनकी सांसद पत्नी नवनीत उनके साथ उपस्थित नहीं थी। हालांकि राणा के वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि उन्होंने अपने मुवक्किल(विधायक राणा) को किसी और काम से यहां पर बुलाया था। इस दौरान विधायक राणा की ओर से वारंट को रद्द करने का आग्रह किया गया। किंतु न्यायाधीश ने इसे अस्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
एक दिसंबर को कोर्ट ने अमरावती से सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था।लगातार तीन सुनवाई के दौरान राणा दंपति उपस्थित नहीं था। इसके मद्देनजर न्यायाधीश ने राणा दंपति के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। हनुमान चालीसा की घोषणा से जुड़े विवाद मामले में राणा दंपति को जमानत मिल चुकी है। जमानत देते समय कोर्ट ने राणा दंपति के मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने की शर्त लगाई थी। इस मामले को लेकर मुंबई पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था फिर जांच के बाद कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया था।
जाति प्रमाणपत्र से जुड़े मामले में सांसद नवनीत राणा को मिली राहत कायम
मुंबई की विशेष अदालत ने अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा व उनके पिता के फर्जी जाति प्रमाणपत्र से जुड़े मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को रखी है। तब तक इस मामले में राणा व उनके पिता को पुलिस की कार्रवाई से मिली अंतरिम राहत कायम रहेगी।
पिछले दिनों इस मामले को लेकर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सांसद राणा व उनके पिता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। सांसद राणा ने विशेष अदालत में आवेदन दायर कर जाति प्रमाणपत्र से जुड़े मामले को लेकर मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने व वारंट को रद्द करने की मांग की है। क्योंकि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है। सोमवार को विशेष न्यायाधीश आरएन रोकडे के सामने सांसद राणा के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायाधीश के सामने सांसद राणा की जाति प्रमाणपत्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति रखी गई। जिसके बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 9 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि साल 2021 में बांबे हाईकोर्ट ने सांसद राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सांसद राणा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हैं।
Created On :   5 Dec 2022 9:06 PM IST