रात के समय भी हमला कर रहे बंदर, गलियों से निकलना मुश्किल, घरों के सामने डेरा

Monkeys attacking even at night, difficult to get out of the streets, camped in front of houses
रात के समय भी हमला कर रहे बंदर, गलियों से निकलना मुश्किल, घरों के सामने डेरा
रात के समय भी हमला कर रहे बंदर, गलियों से निकलना मुश्किल, घरों के सामने डेरा

पहाड़ों से आकर बस्तियों में अब ज्यादा संख्या में सक्रिय वाहन चालक को बना रहे निशाना, दो बच्चों को काटा
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
गढ़ा की बस्तियों में बंदर रात के वक्त भी हमला कर रहे हैं। आमतौर पर बंदरों की उत्पाती टोली दिन के समय तो सक्रिय रहकर लोगों को परेशानी करती है, लेकिन सर्दियों की इन रातों में भी बंदर मुसीबत साबित हो रहे हैं। गढ़ा आनंदकुंज, स्टेट बैंक कॉलोनी, गढ़ा बाजार, पुराना कछपुरा, देवताल, नारायण नगर, गौतम की मढिय़ा, लाल हवेली  के नजदीक आदि अनेक बस्तियों में घरों के सामने बंदरों की टोली का डेरा है। छतों, घरों के आसपास दीवारों और जहाँ भी जगह मिलती है ये  बैठे रहते हैं, जैसे ही लोग निकलते हैं तो अचानक हमला करते हैं। बीते दिन आनंदकुंज के करीब एक परिवार के 2 बच्चों को काटा, जिससे इन बच्चों को हाथों में चोटें आईं। 
गढ़ा की तरफ से मेडिकल कालेज के आसपास धनवंतरी नगर में भी बंदर सक्रिय हैं, जो निकलने वालों के लिए परेशानी बने हुए हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सर्दियों में खाना न मिल पाने से यह पहले से ज्यादा खतरनाक रूप ले चुके हैं। पहले ये रात में परेशान नहीं करते थे, पर अब तो यह अँधेरे में भी एकदम घातक साबित हो रहे हैं। नगर निगम गढ़ा जोन में लोगों ने इनको पकड़कर या पिंजरे में कैद कर वन में छोडऩे के लिए खुद खर्च उठाने का आवेदन तक दिया है, पर उसके बाद भी कोई टीम इनको पकडऩे के लिए नहीं बुलाई जा रही है। लोगों का कहना है कि तकलीफें अब पहले से ज्यादा हैं, अब कम से कम नगर निगम मथुरा से टीम बुलाकर इनको पिंजरे में कैद कराए। यदि अभी कोई कदम न उठाया गया तो इनकी वजह से रात में खदेड़े जाने से किसी की जान भी जा सकती है। रात में इनके हमले से बच पाना बेहद मुश्किल है। 
पहाड़ी खाली तो भी बस्ती में डेरा  
मदन महल की पहाड़ी से अतिक्रमण अलग होने से लगा कि बंदर बस्ती को छोड़कर अपने नैसर्गिक आवास की ओर चले जाएँगे पर पहाड़ी खाली होने के बाद भी यह बस्ती से नहीं भागे। मदन महल और आसपास की पहाडिय़ों से ही यह उतरकर बस्तियों में बीते सालों में सक्रिय हुए हैं। पीडि़त परिवारों का कहना है कि इन बंदरों को कैद करने का कोई न कोई इंतजाम जल्द किया जाना चाहिए। घरों के बाहर, छतों पर भी जाना इनकी वजह से मुश्किल है। सर्दियों के दिनों में लोग धूप को तरस रहे हैं। 
 

Created On :   28 Dec 2020 3:21 PM IST

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