कृषि क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का एकाधिकार करें खत्म, तब रुकेगी किसान आत्महत्या

Monopoly Should ends of foreign companies in agriculture sector
कृषि क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का एकाधिकार करें खत्म, तब रुकेगी किसान आत्महत्या
कृषि क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का एकाधिकार करें खत्म, तब रुकेगी किसान आत्महत्या

डिजिटल डेस्क, मुंबई। वसंतराव नाईक शेती स्वालंबन मिशन ने कृषि संकट के लिए विदेशी कंपनियों को प्रमुख जिम्मेदार ठहराया है। मिशन ने राज्य में कृषि संकट पर रिपोर्ट पेश की है। सरकार से सिफारिश की है कि बीज व खाद मामले में विदेशी कंपनियों के एकाधिकार का जल्द खात्मा किया जाए। इससे किसान आत्महत्या नियंत्रित होगी। मिशन के संयोजक किशाेर तिवारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है। 2015 में वसंतराव नाईक शेती स्वालंबन मिशन की रचना की गई। कृषि, ग्राम विकास, स्वास्थ्य, रोजगार, अन्न सुरक्षा, आदिवासी विकास, सिंचाई, मृदा संरक्षण, राजस्व, गृह, समाज कल्याण, सहकार , पणन व ग्राम विकास से संबंधित आर्थिक मामलों में सुधार के लिए नये सिरे से कार्य किया गया। शेतकरी मिशन को राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा का अधिकार भी दिया गया।

मिशन के कार्य

-6540 गांवों में सरकार आपल्यादारी कार्यक्रम चलाया गया। योजनाओं की समीक्षा की।
-1120 बैंकों के सामने फसल कर्ज सम्मेलन लेकर बैंकों से फसल कर्ज वितरित कराए गए।
-2478 तहसील, उपविभागीय जिला स्तरीय व अमरावती, औरंगाबांद विभागीय समीक्षा बैठक लेकर सरकार की योजनाअों से संबंधित समस्याएं दूर की गई।
-5 वर्ष में मंत्रालय व पुणे आयुक्त कार्यालय में 640 समीक्षा बैठक ली गई।
- नीति आयोग, नाबार्ड, केंद्रीय कृषि व प्रधानमंत्री कार्यालय में 32 बैठकों में कृषि संबंधी सूचनाएं रखी गई।

ये दिये सुझाव

कर्ज आपूर्ति नीति, लागत खर्च व कृषि उपज भाव, जल संपति का समान वितरण, जलसंपत नियंत्रण, फसल प्रणाली में बदलाव व नियंत्रण, ग्रामीण रोजगार व्यवसाय व महिला , युवाओं को रोजगार,सक्षम विपदा प्रबंधन प्रणाली, कृषि उपज संरक्षण व भंडारण प्रक्रिया व्यवस्था, स्वास्थ्य व वन्य प्राणी-किसान संघर्ष, पर्यावरण व वैश्विक नीति का अमल विषयों पर सुझाव दिया गया।

ये कदम उठाएं

कर्ज वितरण के लिए बैंकों की सहायक माइक्रो फाइनांस पर तत्काल नियंत्रण लायें। ग्रामीण कर्ज आपूर्ति व्यवस्था गोरखधंधा होकर रह गई है। कृषि व ग्रामीण कर्ज वितरण व्यवस्था को बदलें। फसल कर्ज माफी केंद्र का िवषय है। उसका भार राज्य सरकार न उठाएं। केंद्र की योजनाओं की निधि के वितरण के लिए राज्य सरकार सहायक समिति बनाएं। फसल प्रणाली अनुदान तत्काल शुरु करायें। असिंचिंत जमीन के लिए नकद अनुदान योजना लाएं।
 

Created On :   20 Jan 2020 11:13 AM GMT

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