अदालत के आदेश के अधीन होगा मनपा प्रभाग परिसीमन, चुनाव आयोग-राज्य सरकार ने जवाब के लिए मांगा समय

Municipal division delimitation will be subject to court order
अदालत के आदेश के अधीन होगा मनपा प्रभाग परिसीमन, चुनाव आयोग-राज्य सरकार ने जवाब के लिए मांगा समय
हाईकोर्ट अदालत के आदेश के अधीन होगा मनपा प्रभाग परिसीमन, चुनाव आयोग-राज्य सरकार ने जवाब के लिए मांगा समय

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महानगरपालिका के प्रभाग परिसीमन को लेकर राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग की ओर से हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगे जाने के मद्देनजर कहा है कि परिसीमन को लेकर होने वाली कार्यवाही अगली सुनवाई तक अदालत के आदेश के अधीन रहेगी। इससे पहले राज्य चुनाव आयोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता शचिंद्र शेट्ये ने न्यायमूर्ति पीडी नाईक व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की अवकाशपीठ के सामने कहा कि उन्हें याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने के लिए समय दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने भी खंडपीठ के सामने चुनाव आयोग के वकील जैसा आग्रह किया। 

हाईकोर्ट में कारोबारी उज्वल केसकर व अन्य  की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से पुणे महानगरपालिका के प्रभाग परिसीमन के मुद्दे को उपस्थित किया गया है। याचिका में मुख्य रुप से परिसीमन को लेकर 10 मई 2022 व 13 मई 2022 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा था कि मनपा के प्रभाग परिसीमन के विषय में उठाए जानेवाले कदम कोर्ट के आदेश के अधीन होंगे और राज्य सरकार व चुनाव आयोग को याचिका पर हलफनामा दायर करने को कहा था। 

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता एसएम गोरवाडकर ने दावा किया था कि प्रभाग परिसीमन को लेकर राज्य सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना कानूनी जरुरतों को पूरा नहीं करती है। उन्होंने कहा था कि प्रभाग परिसीमन की अधिसूचना जारी करने से पहले नागरिकों की आपत्तियां मंगाना जरुरी है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने अपने दावे के लिए महाराष्ट्र म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट (एमएमसी) की धारा 5 के प्रावधानों को आधार बनाया है। जिसके तहत अधिसूचना जारी करने से पहले नागरिकों की आपत्तिया आमंत्रित करना जरुरी है। इस लिहाजा से प्रभाग परिसीमन से जुड़ी सरकार की अधिसूचना एमएमसी कानून की धारा 5 के प्रावधानों के विपरीत है। 
 

Created On :   26 May 2022 8:26 PM IST

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