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सोते हुए आदमी को मारना हत्या, आरोपी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि झगड़े के एक घंटे के बाद सोते हुए आदमी को मारना हत्या है इसे गैर इरादतन हत्या नहीं माना जा सकता है। इस तरह हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी को हत्या के अपराध के लिए सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा में बदलाव करने से इंकार करते हुए उसे कायम रखा है। आरोपी मित्तू परेडा को सत्र न्यायालय ने इस मामले में साल 2013 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। आरोपी ने कहा था कि यह मामला गैर इरादतन हत्या के दायेर में आता है। इसलिए उसकी सजा को अजीवन कारावास की बजाय दस साल किया जाए।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पेशे से ट्रक क्लिनर आरोपी ने अपने दोस्त पर क्षणिक आवेश में आकर हमला नहीं किया था। इससे पहले आरोपी व उसके दोस्त के बीच झगड़ा हुआ था। झगड़े के कुछ देर बाद आरोपी का दोस्त जब सो रहा था उसके बाद आरोपी ने उसके सिर व छाती पर लकड़ी के डंडे से हमला किया था। जो की आरोपी के दोस्त की जान लेने के लिए पर्याप्त था। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शाए कि आरोपी के दोस्त ने उसे हमला करने के लिए उकसाया था।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया किया कि 15 अगस्त 2011 को आरोपी व उसका दोस्त सुबह से शराब पी रहे थे। आरोपी ने अपने दोस्त का मोबाइल फोन लेकर अपने ट्रक के बाक्स में छुपा दिया था। इस बीच जब फोन की घंटी बजी तो आरोपी ने कहा कि जिस बाक्स में फोन रखा है उसकी चाभी ट्रक के ड्राइवर के पास है और ट्रक ड्राइवर अभी नहीं है। इसके बाद दोनों के बीच झगड़ा शुरु हो गया। कुछ देर बाद जब दोस्त ट्रक में सो गया तो झगड़े से नाराज आरोपी ने अपने दोस्त पर लकड़ी के डंडे से हमला कर दिया। दोस्त के सिर से जब तेजी से खून बहने लगा तो आरोपी वहां से फरार हो गया। यह दर्शाता है कि आरोपी ने झगड़े के बाद अपने दोस्त पर हमला किया था। इसलिए यह मामला गैर इरादतन हत्या के मामले के दायरे में नहीं हत्या के दायरे में आता है। इसलिए आरोपी की सजा को कम नहीं किया जा सकता है। इस तरह से खंडपीठ ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया।
Created On :   27 Oct 2022 8:25 PM IST