नागपुर ने देश को दी संविधान दिवस मनाने की प्रेरणा, जानिए कैसे ?

Nagpur gave Inspiration to celebrate Constitution Day to country, know how?
नागपुर ने देश को दी संविधान दिवस मनाने की प्रेरणा, जानिए कैसे ?
नागपुर ने देश को दी संविधान दिवस मनाने की प्रेरणा, जानिए कैसे ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 से देश में अमल किया गया यानी लोगों का राज (लोकतंत्र) स्थापित हुआ। लेकिन 1950 से लेकर 2015 तक सरकार ने संविधान के महत्व पर बहस करना तक जरूरी नहीं समझा। इसकी प्रेरणा केंद्र और राज्य सरकार को नागपुर से मिली। 2005 में नागपुर जिला परिषद के तत्कालीन सीईओ रहे ई.जेड. खोब्रागड़े ने उस समय स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना के वाचन का कार्यक्रम चलाया। 26 नवंबर को प्रत्येक स्कूलों में इसका वाचन अनिवार्य किया गया। तब से नागपुर जिले में हर साल स्कूलों में यह कार्यक्रम शुरू हुआ।

इसके बाद भारतीय संविधान और गणतंत्र दिवस के महत्व पर सार्वजनिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। विदर्भ में बड़े पैमाने पर गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा इसका आयोजन किया जाने लगा। जगह-जगह संविधान प्रस्तावना का सामूहिक वाचन शुरू हुआ। आखिरकार राज्य सरकार ने 2008 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। ऐसे में कार्यक्रम को सरकारी आश्रय मिलने से सरकारी कार्यालयों में भी बड़े जोर-शोर से कार्यक्रम का आयोजन होने लगा। अंतत: 2015 में मोदी सरकार ने भी इसे देश भर में मनाने का निर्णय लिया। 2015 में मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यह पहला मौका था जब संसद में संविधान पर खुलकर चर्चा हुई। दो दिन इस पर बहस चली।

पूर्व आईएएस ई.जेड. खोब्रागडे इसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। वे कहते हैं कि संविधान दिवस मनाना सिर्फ सरकारी कार्यक्रम घोषित करना नहीं था। संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार दिए गए हैं, उन अधिकारों की उन्हें जानकारी देना है। इसे हम सिर्फ 26 नवंबर को ही नहीं मनाते, बल्कि 26 जनवरी पर भी हम संविधान की प्रस्तावना का वाचन करते हैं। 
 

Created On :   27 Jan 2019 11:08 AM GMT

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