नागपुर यूनिवर्सिटी ने HIV बाधितों के लिए बंद किए हॉस्टल के दरवाजे

Nagpur University closed doors for the students with diseases
नागपुर यूनिवर्सिटी ने HIV बाधितों के लिए बंद किए हॉस्टल के दरवाजे
नागपुर यूनिवर्सिटी ने HIV बाधितों के लिए बंद किए हॉस्टल के दरवाजे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आए दिन विवादों में रहने वाली नागपुर यूनिवर्सिटी एक अजीबो-गरीब निर्णय लेकर फिर से विवादों में घिर गई है। अपने विविध हॉस्टलों में प्रवेश के लिए बनाई गई नियमावली में ऐसी शर्त जोड़ी है, जिस पर स्टूडेंट वर्ग को सख्त एतराज है। यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल के एडमिशन फॉर्म में स्पष्ट किया है कि हॉस्टल में किसी भी एचआईवी पीड़ित स्टूडेंट प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जबकि यूनिवर्सिटी अधिनियम से लेकर यूजीसी या शिक्षा विभाग के किसी भी नियमावली में इस तरह की शर्त नहीं है। ऐसे में यूनिवर्सिटी ने खुद ही एड्स पीड़ित विद्यार्थियों के लिए अपने हॉस्टलों के दरवाजे बंद कर दिए हैं, जिससे स्टूडेंटस नाराज हैं।

इन रोग वाले स्टूडेंट्स भी प्रतिबंधित: दरअसल प्रवेश की नियमावाली में यूनिवर्सिटी ने एपीप्लेसी, क्षय रोग, ह्रदय रोग, मानसिक रोग और अन्य संक्रमित रोगों के अलावा एचआईवी एड्स से पीड़ित स्टूडेंटस को भी प्रवेश प्रतिबंधित किया है।

विद्यार्थियों के अनुसार अन्य बीमारियों से पीड़ित स्टूडेंटस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, मगर एचआईवी की बीमारी साथ रहने से या खाने-पीने से नहीं फैलती। ऐसे में एचआईवी पीड़ित स्टूडेंटस पर इस तरह का प्रतिबंध उनके समझ के बाहर है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में केरल के कन्नूर के एक कॉलेज ने ऐसे ही एचआईवी पीड़ित स्टूडेंट के हॉस्टल में रहने पर प्रतिबंध लगाया था, जिसकी देश भर में आलोचना हुई थी। अंतत: काॅलेज द्वारा स्टूडेंट को हॉस्टल में प्रवेश देना पड़ा।

किया जा रहा भेदभाव
नागपुर यूनिवर्सिटी का नया शैक्षणिक सत्र हाल ही में शुरू हुआ है। विवि के कॉलेजों या विविध विभागों में पढ़ने वाले कई स्टूडेंटस नागपुर के बाहर से आते हैं। ऐसे स्टूडेंटस के लिए यूनिवर्सिटी ने शहर में जगह-जगह अपने हॉस्टल बनाए हैं। इसमें लॉ कॉलेज स्थित लोअर हॉस्टल, अमरावती रोड स्थित अपर हॉस्टल और गांधीनगर स्थित गर्ल्स हॉस्टल में सबसे ज्यादा विद्यार्थी रहते है। फिलहाल हॉस्टलों में प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। हॉस्टल में प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी जो प्रोस्पेक्टस दे रहा है, उसमें इस नियम का जिक्र किया गया है। ऐसे में स्टूडेंटस का मानना है कि जिस विवि का काम समाज में एचआईवी जैसी बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, यूनिवर्सिटी खुद ही अपनी संकुचित मानसिकता से ग्रसित है। इसी वजह से एचआईवी पीड़ित स्टूडेंटस से इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है। 

वापस लो निर्णय 
एचआईवी ऐसी बीमारी नहीं है, जो साथ रहने से फैले। यूनिवर्सिटी का काम समाज में एचआईवी के प्रति जागरूकता फैलाना है, न की स्टूडेंटस में भेदभाव करना। हम सभी विद्यार्थियों का विवि के इस फैसले का विरोध है। यूनिवर्सिटी को फौरन यह नियम हटा लेना चाहिए। 
(विकेश तिमांडे, पूर्व कैंपस विद्यार्थी प्रतिनिधि)

जानकारी नहीं है

यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल में प्रवेश के लिए इस तरह का कोई नियम बनाया है, इसकी जानकारी नहीं है। कार्यालय जाकर पता करता हूं। इसके बाद ही कुछ कह सकूंगा।
(डॉ. दिलीप कावडकर, संचालक विद्यार्थी कल्याण बोर्ड )

Created On :   6 Aug 2018 5:24 AM GMT

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