सुसाईड नोट में नाम होने से साबित नहीं होता अपराध : हाईकोर्ट

Name in suicide note does not prove crime, HC gives bail in case
सुसाईड नोट में नाम होने से साबित नहीं होता अपराध : हाईकोर्ट
सुसाईड नोट में नाम होने से साबित नहीं होता अपराध : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसी को सिर्फ इसलिए आत्महत्या के खातिर उकसाने के लिए दोषी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उसका नाम सुसाईड नोट लिखा गया है। मुंबई सत्र न्यायालय ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी पुलिसकर्मी और उसके परिवार को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए मौखिक रुप से यह बात कही। आरोपी पुलिसकर्मी दामोदर चौधरी और उनकी पत्नी के खिलाफ नवघर पुलिस स्टेशन ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए चौधरी ने कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक रिया पलांडे नाम की महिला ने पिछले दिनों अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस जब उसके घर पहुंची तो उन्हें पलांडे के घर से एक सुसाइट नोट मिला। जिसमें पलांडे ने चौधरी व उसके परिवार के सदस्यों पर परेशान करने का आरोप लगाया था। पलांडे के बेटे ने इस संबंध में चौधरी व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। 

अदालत में वकील की दलील

चौधरी की ओर से पैरवी कर रही वकील अंजली अवस्थी ने कहा कि पलांडे ने मुवक्किल की पत्नी भारती से बांद्रा का अपना फ्लैट बेचने के लिए संपर्क किया था। बातचीत के बाद भारती ने पलांडे को पहली किश्त के रुप में दस लाख रुपए दिए थे। कुछ समय बाद भारती ने पलांडे को फ्लैट की पूरी कीमत के रुप में 50 लाख रुपए दिए,लेकिन पलांडे ने फ्लैट को लेकर कोई अनुबंध नहीं कराया। जिसके चलते भारती ने पलांडे से अपने पैसे वापस मांगे।  वकील अवस्थी ने कहा कि मेरे मुवक्किल और उनके घर के किसी सदस्य ने पलांडे को आत्महत्या के लिए नहीं उकसाया और न ही कोई ऐसी परिस्थिति पैदा की है जिसके चलते वह आत्महत्या करे। इसलिए मेरे मुवक्किल के खिलाफ पलांडे को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। 

सबूतों के साथ छेड़छाड की आशंका

इन दलीलों के विरोध में अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपियों ने पलांडे को परेशान किया था। जिसके चलते उसने अपना जीवन समाप्त किया है। इसके अलावा यदि आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई। तो वे मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड कर सकते है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने माना कि पलांडे व आरोपियों के बीच पैसे के लेन-देन को लेकर विवाद था, लेकिन आरोपी का सुसाइड नोट में नाम है सिर्फ इसलिए हमे तुरंत इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए कि आरोपी ने पलांडे को आत्महत्या के लिए उकसाया है। सुसाइड पत्र में लिखी गई बातों का गंभीरता से आकलन करना चाहिए कि क्या आरोपी पर लगाए गए आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 107 के दायरे में आते हैं। 

Created On :   25 Dec 2017 7:34 PM IST

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