मृत्यु पूर्व बयान में आरोपियों के नाम, नजरअंदाज नहीं किए जा सकते

Names of accused in pre-death statement, cannot be ignored
मृत्यु पूर्व बयान में आरोपियों के नाम, नजरअंदाज नहीं किए जा सकते
मृत्यु पूर्व बयान में आरोपियों के नाम, नजरअंदाज नहीं किए जा सकते

डिजिटल डेस्क जबलपुर। दहेज हत्या के मामले में आरोपियों की ओर से दाखिल की गई रिव्यू पिटीशन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस एके श्रीवास्तव ने अपने फैसले में कहा है कि मृतका ने अपने मृत्यु पूर्व बयान में आरोपियों द्वारा प्रताडि़त किये जाने की बात कही गयी है, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। अभियोजन के अनुसार होशंगाबाद कोतवाली निवासी आरती उर्फ अनुराधा सोलंकी की 1 अक्टूबर 2018 को संदिग्ध परिस्थितियों में आग में झुलसने से मृत्यु हो गई थी। उसे गंभीर अवस्था में उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उसकी मौत हो गयी। पुलिस ने प्रकरण को विवेचना में लेकर आरोपी पति पवन, देवर सोनू, सास माया बाई तथा बुआ सास तुलसा बाई के खिलाफ दहेज हत्या तथा प्रताडऩा का प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था। जिला न्यायालय द्वारा आरोप तय किये जाने को चुनौती देते हुए आरोपियों की ओर से रिव्यू पिटीशन दायर की गयी जिसमें कहा गया कि एफआईआर में उनके खिलाफ दहेज के लिए प्रताडि़त करने के आरोप नहीं हैं। इसके अलावा बुआ सास अलग बीना सागर में रहती हैं। लिहाजा उनकी संलिप्तता का सवाल नहीं उठता। एकलपीठ ने रिव्यू याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि मृत्यु पूर्व बयान की अपनी अहमियत है इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। 

Created On :   19 Jan 2020 11:31 AM GMT

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