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पेगासस जासूसी कांड की पड़ताल के लिए पश्चिम बंगाल की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार भी गठित करें जांच आयोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चंद्रपुर से सांसद सुरेश धानोरकर ने महाराष्ट्र सरकार से स्पाईवेयर पेगासस जासूसी कांड की पड़ताल के लिए पश्चिम बंगाल की तर्ज पर जांच आयोग गठित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए आयोग गठित करने की जरुरत इसलिए है, क्योंकि महाराष्ट्र में इससे जुड़े अहम तथ्यों के खुलासे हुए है और इसमें प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का नाम सामने आ रहा है। कांग्रेस सांसद धानोरकर ने कहा कि पेगासस के जरिए कई प्रभावशाली लोगों की जासूसी की जा रही है इसके खुलासे के साथ ही यह भी तथ्य सामने आया है कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने 2019 में डीजीपीआईआर के कुछ अधिकारियों को इजराइल भेजा था और ये अधिकारी कृषि की नई तकनीक नहीं बल्कि जनसंपर्क के गुर सीखने गए थे। वहीं, वकील सतीश उके ने पेगासस के खुलासे के पहले ही जासूसी मामले के संबंध में मई 2021 में नागपुर पुलिस आयुक्त में भाजपा नेता शामिल होने के बारे में लिखित शिकायत की है। इससे यह आशंका पैदा हो गई है कि कहीं भाजपा नेताओं का इस कांड में हाथ तो नहीं है। इसकी जांच भी होनी बेहद जरुरी है।
केन्द्र सरकार चर्चा कराने पर सहमत नहीं
सांसद ने कहा कि विपक्ष लगातार संसद में स्पाईवेयर पेगासस के जरिए प्रभावशाली लोगों की जासूसी कराए जाने के मसले पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के मौजूदगी में चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन केन्द्र सरकार इसके लिए जरा भी तैयार नहीं हो रही है। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति या अन्य माध्यमों के जरिए भी जांच के लिए तैयार नहीं है। सच्चाई तो यह है कि केन्द्र सरकार ने जासूसी की है, इसलिए उसे डर लग रहा है और वह चर्चा से भाग रही है। इस मुद्दे पर पिछले सात दिन से लगातार सदन की कार्रवाई लगातार बाधित हो रही है। संसद में इसकी च र्चा को डर लग रहा है कहीं उसकी पोल-खोल न हो उन्होंने कहा कि देश कोरोना संकट से गुजर रहा है, ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा देश के पत्रकारों, नेताओं की जाजूसी कर रही है, यह बेहद गंभीर बात है।
सांसद निंबालकर के सवाल पर घिरे राज्यमंत्री चौधरी, किरकिरी से बचने केन्द्रीय मंत्री तोमर को संभालनी पड़ी कमान
वहीं उस्मानाबाद से सांसद ओम पवन निंबालकर ने मंगलवार को लोकसभा में कृषि मंत्री से जानना चाहा था कि पिछले साल उनके संसदीय क्षेत्र तथा पूरे मराठवाडा में भारी बारिश से हुए नुकसान के बारे में केन्द्र की टीम के सर्वेक्षण में कितना प्रतिशत नुकसान बताया गया है। इस पर जवाब देते हुए कृषि एवं कल्याण मंत्रालय में नवनियुक्त राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने नुकसान के प्रतिशत का आंकडा तो नहीं बताया, लेकिन नुकसान भरपाई के लिए केन्द्र द्वारा स्वीकृत राशि का जिक्र करते ही वे अपने शब्दों में ही ऐसे घिर गए की किरकिरी से बचने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री तोमर को फिर इस पर जवाब देना पड़ा। सांसद निंबालकर ने पूछा था कि 14-15 अक्टूबर 2020 को भारी बारिश होने के बाद 21 दिसंबर 2020 को केन्द्र की टीम क्षेत्र में नुकसान का जायजा लेने वहीं पहुंची थी। उन्होंने स्वयं संसदीय क्षेत्र का दौरा करने पाया कि किसानों का 100 प्रतिशत नुकसान हुआ था, लेकिन केन्द्र की टीम ने अपने सर्वे में कितना प्रतिशत नुकसान बताया है, यह जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। इसे बताया जाए। इसकी जानकारी दी जाए। राज्यमंत्री चौधरी ने कहा कि केन्द्र की टीम ने वहां का जो आकलन किया उस आधार पर सरकार ने एनडीआरएफ फंड से महाराष्ट्र को 701 करोड़ रुपये स्वीकृ किए गए। अन्य राज्यों के आंकडे बताते हुए आगे राज्यमंत्री विपक्ष पर हमलावर होते हुए प्रधानमंत्री की प्रशंसा में जुट गए हैं।
राज्य को नुकसान की धनराशि देने में विलंब क्यों?
इस बीच सांसद निंबालकर ने फिर जानना कि महाराष्ट्र सरकार ने केन्द्र को नुकसान के संबंध में दिए ज्ञापन में एनडीआरएफ से 3721 करोड़ रुपए की मांग की थी, जो कि बेहद वाजिब थी। राज्यमंत्री ने जवाब में बताया कि केन्द्र ने 701 करोड़ रुपए आवंटित किए है। लेकिन सच्चाई यह है कि नुकसान 3721 करोड़ का हुआ है, लेकिन जो 701 करोड़ स्वीकृत किए गए है वह भी राज्य सरकार को अब तक नहीं मिली है। जब सांसद ने धनराशि देने में विलंब क्यों? ज्यादा धनराशि क्यों नहीं दी? अभी तक 701 करोड रुपये राज्य को क्यों नहीं मिले? जैसे सवाल जड़ने के बाद राज्यमंत्री को इसका जवाब देते नहीं बनने पर सफाई के लिए आगे की कमान केन्द्रीय मंत्री तोमर को संभालनी पड़ी।
Created On :   27 July 2021 9:41 PM IST