1800 करोड़ की सड़कों के निर्माण को लेकर रवैया लचर

Negligence in the construction of roads worth rs 1800 crore
1800 करोड़ की सड़कों के निर्माण को लेकर रवैया लचर
1800 करोड़ की सड़कों के निर्माण को लेकर रवैया लचर

डिजिटल डेस्क जबलपुर । जबलपुर से जुड़े हुये तीन हाईवे मार्ग जो रायपुर, भोपाल, इलाहाबाद और बनारस जैसे शहरों को जाते हैं इनमें से सभी में निर्माण तो चल रहा है, लेकिन इनके शहर से दूसरे हिस्से में जो काम चल रहा है, उनकी हालत खराब है। कहीं पर अभी निर्माण की गति दम तोड़ रही है, तो कहीं पर टेण्डर की प्रक्रिया ही इतनी धीमी चल रही है कि निकट भविष्य में नहीं लगता है कि ये जल्द बनकर लोगों को थोड़ी राहत दे सकेंगे। इन सड़कों से निकलना आम आदमी के लिए परेशानियों से भरा हुआ है।
एनएच-7 में जबलपुर से  सिहोरा स्लीमनाबाद का जो हिस्सा टू-लेन से फोर-लेन में तब्दील किया जा रहा है, यहां पर िनर्माण की गति स्लीमनाबाद से मैहर वाले हिस्से के मुकाबले एकदम धीमी है। कहीं पर भी देखकर नहीं लगता है कि आने वाले छह माह में यह सड़क बनकर तैयार हो जाएगी। हर तरफ काम बिखरा हुआ नजर आता है। 286 किलोमीटर लखनादौन से रीवा तक जबलपुर से सिहोरा स्लीमनाबाद सड़क का दूसरा हिस्सा माना जाता है। इसी तरह एनएच-12 ए में बरेला डोबी गांव से मण्डला तक 62 किलोमीटर का जो काम चल रहा है, उसमें अभी मात्र 25 किलोमीटर ही सड़क बन सकी है। दावा किया जा रहा है कि यह सड़क अप्रैल तक तैयार हो जाएगी, पर यहां पर भी हालात एकदम विपरीत नजर आते हैं। एनएच-12 ए में डोबी गांव से मण्डला तक की सड़क को दूसरे हिस्से में माना जाता है। जबलपुर से भोपाल फोर-लेन निर्माण में भी यही हाल है। दूसरे फेज का काम जो जबलपुर से 55 किलोमीटर आगे हिरन नदी से गाडरवारा बॉर्डर सिंगूर नदी तक 62 किलोमीटर का हिस्सा, जिसके निर्माण के लिए अभी तक टेण्डर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। अमूमन सभी सड़क में दूसरे फेज का काम एकदम धीमी गति से चल रहा है।
डेढ़ साल में होगी बनकर तैयार
इधर जबलपुर से भोपाल सड़क के पहले हिस्से का काम चालू कर दिया गया है। 55 किलोमीटर तक अंध-मूक बायपास से हिरन नदी तक जिस कंपनी को पहले हिस्से का 424 करोड़ रुपए से निर्माण का ठेका दिया गया है, उसने अपना काम आरंभ कर दिया है। सहजपुर के नजदीक इस कंपनी ने अपना निर्माण स्टेशन बनाया है। संभावना यही बताई जा रही है िक 18 माह में यह सड़क का हिस्सा बनकर तैयार होगा।  
 एनओसी मिलने में देरी
 बरेला डोबी गांव से मण्डला तक धीमी रफ्तार से काम होने पर कारण बताया जा रहा है कि यहां पर वन ज्यादा हैं। वन भूमि में पेड़ काटने की अनुमति देरी से मिलने से निर्माण भी देरी से हो रहा है। इसी तरह जबलपुर से भोपाल सड़क में हिरन नदी से आगे सिंगूर नदी की सीमा तक 13 किलोमीटर के दायरे में नौरादेही सेंचुरी का जंगल आता है। इस भूमि में भी वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति देरी से मिली, जिसके चलते सड़क निर्माण की टेण्डर प्रक्रिया मेंं समय लगा। इधर जबलपुर सिहोरा स्लीमनाबाद सड़क में कहा जा रहा है कि यहां पर अतिक्रमणों की संख्या अन्य हिस्सों से ज्यादा थी, जिसके चलते प्रक्रिया देरी से पूरी हुई।
कहां कितने हिस्से में निर्माण
 जबलपुर से भोपाल एनएच 12  सड़क में कुल पांच हिस्सों में िनर्माण हो रहा है। इसी तरह जबलपुर से रायपुर शिमगा एनएच-12 ए में  पांच हिस्सों में निर्माण और लखनादौन से रीवा तक चार हिस्सों में टू-लेन सड़क को फोर-लेन में तब्दील किया जा रहा है ।

 

Created On :   27 Feb 2018 1:46 PM IST

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