गुणवत्ताहीन सड़क अपने सुपुर्द लेने से एनएचएआई का इंकार - पुल और मार्ग करें दुरुस्त, इसके बाद ही लेंगे जिम्मा

NHAI refuses to take over the quality road - repair the bridge and road, only then will take responsibility
गुणवत्ताहीन सड़क अपने सुपुर्द लेने से एनएचएआई का इंकार - पुल और मार्ग करें दुरुस्त, इसके बाद ही लेंगे जिम्मा
दो माह पहले ही सडक़ को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने जताई थी नाराजगी, फिर भी नहीं दिया गया ध्यान  गुणवत्ताहीन सड़क अपने सुपुर्द लेने से एनएचएआई का इंकार - पुल और मार्ग करें दुरुस्त, इसके बाद ही लेंगे जिम्मा

डिजिटल डेस्क  कटनी । कटनी से उमरिया जिला मुख्यालय तक एमपीआरडीसी के माध्यम से बनाई गई सडक़ और पुल में निर्माण की गुणवत्ता को लेकर एनएचएआई के साथ पेंच पिछले 6 माह से फंसा हुआ है। 6 माह पहले विधिवत रूप से एमपीआरडीसी में इस सडक़ को एनएचएआई के हवाले करने की तैयारी कर ली थी। इस संबंध में दोनों विभागों के बीच पत्राचार भी हो चुका था। कार्रवाई चल रही थी कि सडक़ों की दरारों ने गुणवत्ता की पोल खोलकर रख दी। एनएचएआई के अधिकारियों ने साफ कहा कि जब तक पैनल नहीं बदले जाते तब तक वे सडक़ को अपने सुपुर्द नहीं लेंगे। पैनल का मामला दोनों के बीच फंसा रहा कि लमतरा पुल ने और एक परेशानी बढ़ा दी।दरअसल जैसे ही लमतरा पुल धसक गया उसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने हांथ खींच लिया। दो विभागों की चली थी जांच, बाद में पीछे हटे शुरूआती दौर में पुल के धसकने की जांच दो विभाग के अफसर कर रहे थे। बाद में जैसे-जैसे निर्माण कार्य में लापरवाही अधिकारियों को मिलती गई एक विभाग इससे दूरी बना लिया। इसके पीछे प्रमुख वजह गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य होना है। एनएचएआई अधिकारियों को यह डर सता रहा था कि यदि एक बार कागजी खानापूर्ति पूरी हो गई तो फिर यह घटिया कार्य उनके जिम्मे आ जाएगा, जिसके चलते सडक़ को लेने से इंकार कर दिये।
एक माह से नहीं पहुंचे अफसर, देरी के आसार
जांच का नतीजा अभी तक नहीं निकल सका। एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। इसके बावजूद एमपीआरडीसी के अधिकारी ठेका कंपनी को काम देकर यहां से नदारत हैं। जानकारों ने बताया कि यदि इंजीनियरों के रहते पुल को ध्वस्त करने का काम किया जाता तो तकनीकी दल उन खामियों को भी आसानी से पकड़ लेता जिस पर पुल निर्माण के समय अफसरों की नजर नहीं पड़ी थी।
राह में सफर करना नहीं है आसान, दरारें दे रही दर्द
240 करोड़ की लागत से बनाई गई सडक़ पर सफर करना राहगीरों के लिए आसान नहीं है। अभी भी कई जगहों पर सडक़ें में दरारें हैं जिन्हें डामर से लेप किया गया है। इस स्थिति में इस मार्ग से गुजरने पर खतरे की संभावना बनी रहती है। विलायतकला के आगे पुल के समीप इस मार्ग में बड़ी-बड़ी दरारों में आये दिन वाहन चालक अनियंत्रित होकर वाहन का संतुलन खो बैठते हैं,
गनीमत है कि अभी तक कोई बड़ा हादसा यहां नहीं हुआ।
 

Created On :   20 Sep 2021 8:11 AM GMT

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