Nit ने रद्द की नागपुर सहकारी अस्पताल के भूखंड की लीज, 30 दिन में करना होगा खाली

Nit cancels the lease of Nagpur Cooperative Hospital, will have to vacate in 30 days
Nit ने रद्द की नागपुर सहकारी अस्पताल के भूखंड की लीज, 30 दिन में करना होगा खाली
Nit ने रद्द की नागपुर सहकारी अस्पताल के भूखंड की लीज, 30 दिन में करना होगा खाली

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  नागपुर सुधार प्रन्यास ने नागपुर नागरिक सहकारी को धरमपेठ में अस्पताल के लिए लीज पर दी गई जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है। नासुप्र ने संस्थान को 30 दिन के भीतर जमीन खाली करके उसका अधिकार विभागीय अधिकारी पश्चिम को सौंपने के आदेश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर अस्पताल को फिर से संचालित करने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की गई है।

हाईकोर्ट अस्पताल को शुरू करने पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने जा रहा है।  इसमें मेडिकल अधिष्ठाता डॉ. सजल मित्रा, डॉ. लोकेंद्र सिंह, डॉ. विभावरी दाणी, डॉ. सुभ्रजित दासगुप्ता और पूर्व कुलगुरु डॉ.एस.डब्ल्यू कुलकर्णी का नाम प्रस्तावित है। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई दो सप्ताह स्थगित की है। मामले में याचिकाकर्ता डॉ. भालचंद्र सुभेदार की ओर से एड. अक्षय सुदामे, नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे और मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा।

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार सोसायटी के निवेदन पर नासुप्र ने उन्हें धरमपेठ में सहकारी अस्पताल चलाने के लिए 5842 वर्ग मीटर भूखंड 30 साल की लीज पर दिया। यह लीज 1971 से शुरू हुई थी। संस्था ने अस्पताल तो शुरू किया, लेकिन समय के साथ सोसायटी की आर्थिक हालत बिगड़ती चली गई। वर्ष 2007 में हैदराबाद के मेसर्स क्वालिटी केयर ग्रुप ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अस्पताल चलाने की योजना विफल हो गई। बाद में डॉ. अर्नेजा इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी को गलत तरीके से अस्पताल का करार हुआ।

याचिकाकर्ता की ही जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह करार रद्द कर दिया था। इस सब के बीच अस्पताल बंद हो गया। इधर कारण शहर के बीचों बीच कीमती भूखंड व्यर्थ हो रहा है, इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को निवेदन सौंपा। 6 मार्च को रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज ने सोसायटी पर प्रशासक नियुक्त कर दिया। अब याचिकाकर्ता ने नासुप्र को निवेदन सौंपकर लीज समाप्त होने की ओर ध्यानाकर्षित किया। लेकिन नासुप्र ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा है।
 

Created On :   9 Jan 2020 3:05 PM IST

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