राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में न हो कोई भी समझौता : हाईकोर्ट

No compromise in national swimming competition :high court
राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में न हो कोई भी समझौता : हाईकोर्ट
राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में न हो कोई भी समझौता : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता पीयूष शर्मा की अध्यक्षता वाले मप्र स्विमिंग एसोसिएशन के बैनर तले कराने के आदेश दिए है। प्रतियोगिता भोपाल और इंदौर में आगामी 7 से 11 अक्टूबर तक होगी। इस बारे में पूर्व में पारित आदेश को वापस लेते हुए जस्टिस जेके माहेश्वरी की एकलपीठ ने साफ कहा है कि इस प्रतियोगिता में खिलाड़ियों को लेकर किसी भी तरह का कोई समझौता न किया जाए और पूरा आयोजन बेहतर ढंग से कराया जाए। 

गौरतलब है कि 71वीं ग्लैनमार्क सीनियर नेशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप 2017 का आयोजन भोपाल और इंदौर में 7 से 11 अक्टूबर को होना था। इस चैंपियनशिप में देश के 28 राज्यों के करीब 750 तैराक हिस्सा लेने वाले थे। इस आयोजन को लेकर दो गुटों में विवाद था। इसी के चलते हाईकोर्ट ने मप्र स्विमिंग एसोसिएशन जबलपुर की याचिका पर उसे ही विगत 27 सितंबर को इस आयोजन की जिम्मेदारी सौंपने का अंतरिम आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता मप्र स्विमिंग एसोसिएशन के इस आयोजन में पीयूष शर्मा, जय वर्मा व रवींद्र दुबे किसी भी तरह की दखलंदाजी न करें। इस अंतरिम आदेश को वापस लेने एक अर्जी पीयूष शर्मा, जय वर्मा व रवीन्द्र दुबे की ओर से दायर की गई थी। 

मामले पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान स्टे वापस लेने की अर्जी दायर करने वाले पीयूष शर्मा, जय वर्मा व रवीन्द्र दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी, नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन की जिम्मेदारी पीयूष शर्मा की अध्यक्षता वाले एसोसिएशन को मिलना चाहिए, क्योंकि मप्र स्विमिंग एसोसिएशन अभी अस्तित्व में ही नहीं है और वह रजिस्ट्रार फर्म्स एण्ड सोसायटी से मान्यता प्राप्त भी नहीं है। दो पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों पर गौर करने के बाद अदालत ने पाया कि वर्ष 2013 में हुए चुनावों के बाद याचिकाकर्ता एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कार्यकाल सितंबर 2017 में समाप्त हो चुका है, जिसके कारण यह पूरा विवाद शैलेन्द्र गौर और पीयूष शर्मा की अध्यक्षता में गठित एसोसिएशनों के बीच पैदा हो रहा। दो पक्षों के विवाद के बीच चैंपियनशिप में किसी भी तरह का कोई व्यवधान न हो, इसको लेकर अदालत ने 27 सितंबर 2017 के आदेश को वापस लेते हुए कुछ शर्तें भी लगाईं हैं। 


ये हैं हाईकोर्ट की शर्तें

  • 20 सितंबर से पहले स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इण्डिया को मिली प्रविष्टियों में जिन प्रतियोगियों के नाम हैं, उन्हें प्रतियोगिता में शामिल किया जाए। यदि प्रतियोगिता को लेकर कोई दावेदार अपना दावा पेश करता है तो उसकी मैरिट को देखकर विधि अनुसार उचित आदेश जारी किया जाए।
  • 27 सितंबर के बाद किसी भी प्रतियोगी की तरफ से पेश किए जाने वाले दावे की जांच इण्डियन ओलंपिक एसोसिएशन, मप्र ओलंपिक एसोसिएशन और स्विमिंग फेडरेशन के प्रतिनिधि करेंगे।
  • पीयूष शर्मा की अध्यक्षता वाले संघ को आयोजन का पूरा हिसाब रखना होगा। इसी संघ को सुनिश्चित करना होगा कि राज्य के किसी भी तैराक के हित प्रभावित न हों और वो किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेंगे। ऐसा होता है तो उसका परिणाम भुगतने भी तैयार रहें।
  • आयोजन के सफल आयोजन की निगरानी करने भोपाल और इंदौर के वरिष्ठ अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश, वरिष्ठ एडीशनल कलेक्टर और लोकायुक्त के पुलिस अधीक्षकों की एक कमेटी बनाई जाए। कमेटी को एकाउण्टस का भी परीक्षण करना होगा। 
     

Created On :   6 Oct 2017 4:20 AM GMT

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