सत्र न्यायालय में अर्नब की याचिका पर सुनवाई कल, हाईकोर्ट से राहत नहीं, जेल में हुई 3 घंटे पूछताछ

No relief to Arnab Goswami in case of abetment to suicide
सत्र न्यायालय में अर्नब की याचिका पर सुनवाई कल, हाईकोर्ट से राहत नहीं, जेल में हुई 3 घंटे पूछताछ
सत्र न्यायालय में अर्नब की याचिका पर सुनवाई कल, हाईकोर्ट से राहत नहीं, जेल में हुई 3 घंटे पूछताछ

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के आरोपी वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी नेबांबे हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद जमानत के लिए अलीबाग की सत्र न्यायालय में आवेदन दायर किया है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया किया है कि प्रकरण को लेकर दूसरे आवेदनों पर सुनवाई से पहले जमानत आवेदन पर सुनवाई की जाए। गोस्वामी को फिलहाल तलोजा जेल में रखा गया है। इस बीच मैजिस्ट्रैट कोर्ट ने पुलिस को अर्नब से रोजाना जेल में जाकर 3 घंटे तक पूछताछ किए जाने की इजाजत दी है। 

इससे पहले निचली अदालत ने 4 नवंबर 2020 को गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेजा था। इस बीच पुलिस ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट में फिर से आवेदन दायर किया। जिस पर 6 नवंबर को सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुलिस को सीमित समय के लिए गोस्वामी से पूछताछ के लिए अनुमति प्रदान कर दी। इधर पुलिस ने अलग से गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के खिलाफ सत्र न्यायालय में आवेदन दायर किया है। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने कहा कि सत्र न्यायालय में मामले की सुनवाई की मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी है। क्योंकि आरोपी की ओर से कोर्ट में कई आवेदन दायर किए गए हैं। लेकिन मैजिसट्रेट कोर्ट ने पुलिस को सीमित समय के लिए जेल में आरोपी से पूछताछ करने की इजाजत दी है। उन्होंने कहा कि जब तक मामला सत्र न्यायालय नहीं आ जाता है तब पुलिस सारे आवेदन मैजिस्ट्रेट कोर्ट में ही करेगी। मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी से पूछताछ की इजाजत दी है। लिहाजा पुलिस अब गोस्वामी से तीन घंटे पूछताछ कर सकेगी। 

हाईकोर्ट से राहत नहीं

इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी के पास जमानत के लिए निचली अदालत जाने का विकल्प है। इसलिए हम जमानत आवेदन पर विचार नहीं कर सकते हैं। प्रथम दृष्टया इस मामले में जमानत का कोई मामला नहीं बनता है। आरोपी जमानत के लिए सत्र न्यायलय जा सकते हैं। निचली अदालत जमानत आवेदन दायर होने के बाद चार दिन के भीतर उसका निपटारा करे। इस तरह से न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने गोस्वामी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने जमानत न देने के लिए मामले की जारी जांच को भी आधार बनाया। गोस्वामी को पुलिस ने साल 2018 के मामले में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 4 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। फिलहाल गोस्वामी को नई मुंबई के तलोजा जेल में रखा गया है। गौरतलब है कि गोस्वामी द्वारा पैसे का भुगतान न किए जाने के चलते नाइक ने आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाया था। कोर्ट ने गोस्वामी के अलावा अन्य दो आरोपियों को भी कोई राहत नहीं दी है। 

गोस्वामी ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए हाईकोर्ट में खुद के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने, जांच पर रोक लगाने व अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने शनिवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे खंडपीठ ने सोमवार को सुनाया है। खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है  कि अभी मामले की जांच जारी है। और जांच अधिकारी ने सूसाइड नोट भी बरामद किया है जिसमें आरोपी का नाम है। इसलिए हम अभी याचिकाकर्ता के वकील की ओर से दी गई इस दलील पर विचार नहीं कर सकते है कि प्रकरण को लेकर दर्ज की गई एफआईआर से आरोपी के खिलाफ कोई अपराध उजागर नहीं होता है। खंडपीठ ने कहा कि एफआईआर को रद्द करने से जुड़ी मांग को 10 दिसंबर 2020 को होनेवाली सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा। इस तरह से खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल आरोपी की ओर से रिहाई से जुड़े अंतरिम जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है। 

सुनवाई के दौरान गोस्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया था कि पुलिस ने उनके मुवक्किल को अवैध तरीके से गिरफ्तार किया है। चूंकी इस मामले को लेकर पुलिस ने पहले ही कोर्ट में ए समरी रिपोर्ट दायर कर दी थी। इसलिए बिना कोर्ट की अनुमति के मामले की नए सिरे से जांच नहीं की जा सकती है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने गोस्वामी की जमानत का विरोध किया था। उन्होंने कहा ए समरी रिपोर्ट से पुलिस की जांच का अधिकार नहीं खत्म होता है। ए समरी की रिपोर्ट सबूत न मिलने के चलते दायर की जाती है लेकिन जांत अधूरी रहती है। नए सबूत मिलने पर पुलिस मामले की जांच कर सकती है। नाइक की पत्नी की ओर से पैकली कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी गोस्वामी को राहत देने का विरोध किया था। 

अर्णब से जेल में हुई 3 घंटे पूछताछ

दो साल पुराने अन्यव नाईक आत्महत्या मामले में जेल में बंद अर्णब गोस्वामी से अलीबाग क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने तीन घंटे पूछताछ की। यह पूछताछ सोमवार को तलोजा जेल में की गई जहां अर्णब फिलहाल बंद हैं। पुलिस मंगलवार को भी अर्णब से पूछताछ की सिलसिला जारी रखेगी। इससे पहले अलीबाग सत्र न्यायालय ने पुलिस को मामले में अर्णब से रोजाना तीन घंटे पूछताछ की इजाजत दे दी थी। जिसके बाद मामले की जांच कर रही अपराध शाखा के अधिकारियों ने अर्णब से जेल में जाकर सवालों के जवाब हासिल करने की कोशिश की। अर्णब समेत तीन आरोपियों को पुलिस ने अन्वय को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अन्वय ने आत्महत्या से पहले अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि अर्णब और अन्य दूसरे आरोपियों से बकाया न मिलने के चलते वे आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं इसीलिए आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या से पहले अन्वय ने अपनी मां की भी हत्या कर दी थी।  

 

Created On :   9 Nov 2020 12:29 PM GMT

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