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प्रदूषण की तैयारी और भक्तों से धोखा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पाबंदी के बावजूद बाजारों में पीओपी मूर्तियां धड़ल्ले से बिक रही हैं। 18 अगस्त को महापौर दयाशंकर तिवारी ने मनपा अधिकारियों के साथ बैठक लेकर पीओपी मूर्तियों पर पाबंदी लगाने के लिए कई निर्देश दिए थे। घनकचरा व्यवस्थापन विभाग ने भी नियमावली तैयार कर जोन स्तर पर निर्देश जारी किए थे, लेकिन इन निर्देशों का कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। इसका सिर्फ असर यह हुआ है कि बाजारों में पीओपी की मूर्तियां मिट्टी के नाम पर बिकने लगी हैं। महापौर तिवारी ने 18 अगस्त को बैठक में कड़े निर्देश दिए थे। कहा था कि पीओपी मूर्तियों की बिक्री पर पाबंदी है। इसलिए संबंधित अधिकारियों इसका पालन करें। बाजारों में पीओपी की मूर्तियां न बिके, इसकी खास निगरानी की जाए। साथ ही सभी मूर्ति विक्रेताओं के लिए पंजीयन करना जरूरी बताया गया था। जागरूकता अभियान भी चलाने को कहा था। निर्देश के अनुसार, पीओपी मूर्तियां दिखाई देने पर 10,000 दस हजार रुपए जुर्माना, दुकानें सील, डिपॉजिट जब्त के अलावा महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमानुसार फौजदारी कार्रवाई करने की सूचना दी गई थी। यह जानकारी नागरिकों तक पहुंचाने हेतु लाउडस्पीकर का सहारा लेने, स्वयंसेवी संगठनों की मदद लेने, चौक पर बैनर, पोस्टर लगाने, सोशल मीडिया पर जानकारी देने ऑडिओ क्लिप प्रसारित करने कहा गया था। अभियान को सफल बनाने विशेष टॉस्क फोर्स बनाने को कहा गया था। इसमें माटी कलाकार, पर्यावरण प्रेमियों को शामिल करने के लिए निर्देेश दिए गए थे। लेकिन बाजार में सजी पीओपी की मूर्तियां देखकर प्रशासन की पोल खुल रही है। सारे निर्देश हवा हो गए हैं।
ग्राहक के साथ हो रहा धोखा
पिछले साल 1.50 लाख मूर्तियां बची थी। इनके साथ ही इस बार भी 50 हजार से अधिक मूर्तियां बाहर से आ चुकी है। इनमें 80 फीसदी मूर्तियां पीओपी की है। मिट्टी के नाम पर यह मूर्तियां थमाई जा रही है। एक तरफ से आस्था के साथ खिलवाड़, पर्यावरण को प्रदूषित करने की तैयारी और गणेश भक्तों के साथ धोखा किया जा रहा है। वहीं तमाम जानकारी जोन स्तर पर होने के बावजूद सभी मौन धारण किए हुए हैं।
यहां पत्र जारी कर जिम्मेदारी से इतिश्री
मनपा के घनकचरा व्यवस्थापन विभाग ने महापौर के साथ हुई बैठक के बाद एक पत्र जारी किया था। इसमें कहा गया कि महापौर के निर्देशानुसार विभाग ने पीओपी मूर्ति बिक्री के संबंध में नियम व शर्ते तैयार की हैं। इसके अनुसार सभी दुकानदारों पंजीयन जरूरी किया गया है। दुकानदारों को पीओपी मूर्ति नहीं बेचने के संबंध में 100 रुपए के स्टॉप पेपर पर शपथ-पत्र देना जरूरी बताया गया है। दुकान के सामने पीओपी मूर्तियों की बंदी के संबंध में फलक लगाना अनिवार्य किया गया है। सभी मूर्तियों का विसर्जन घर मे या कृत्रिम तालाबों में करने के लिए जागरूकता फलक लगाने का नियम बनाया गया। लेकिन 90 फीसदी दुकानों में इन नियमों व शर्तो का पालन नहीं हो रहा है। पंजीयन कराने वालों की संख्या नाममात्र है। स्टॉम्प पेपर पर गारंटी-पत्र नहीं दिया जा रहा है। केवल 200 दो सौ रुपए की रसीद बनाकर दी जा रही है। सब कुछ पुराने ढर्रे पर हो रहा है। विभाग ने सभी सहायक आयुक्त को पत्र देकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है। जोन स्तर पर इसका कहीं भी अमल नहीं हो रहा है। सभी नियमों को ताक पर रखा गया है।
Created On :   6 Sept 2021 4:57 PM IST