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जल उपभोक्ता संस्थाओं को भंग करने की अधिसूचना निरस्त

हाईकोर्ट का निर्णय, 7 मार्च 2020 को जारी की गई थी अधिसूचना
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा 7 मार्च 2020 को जारी उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया है, जिसके जरिए प्रदेश की जल उपभोक्ता संस्थाओं को भंग कर दिया गया था। इस अधिसूचना के जरिए जल उपभोक्ता संस्थाओं का प्रभार संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था। डिवीजन बैंच ने पूर्व में इस मामले में निर्णय सुरक्षित कर लिया था। यह याचिका पनागर क्षेत्र की जल उपभोक्ता संस्थाओं के निर्वाचित अध्यक्ष क्रमश: किशन पटेल, विनोद उपाध्याय, नीरज पटेल एवं सुरजीत पटेल द्वारा दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि पूर्व भाजपा सरकार ने जल उपभोक्ता संस्थाओं का कार्यकाल निर्वाचन से 6 वर्ष की अवधि के लिए कर दिया था। कांग्रेस सरकार ने 30 जनवरी 2020 को अधिनियम में संशोधन कर समितियों का कार्यकाल 6 वर्ष की जगह 5 वर्ष कर दिया। इस संबंध में 7 मार्च 2020 को अधिसूचना जारी कर जल उपभोक्ता संस्थाओं को भंग कर दिया। अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने तर्क दिया कि जल उपभोक्ता संस्थाओं का निर्वाचन के समय कार्यकाल 6 वर्ष का था। इससे याचिकाकर्ताओं को अपना कार्यकाल पूरा करने का अधिकार है। भूतलक्षी प्रभाव से संशोधन को लागू नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने जल उपभोक्ता संस्थाओं को भंग करने की अधिसूचना निरस्त कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से आनंद त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, असीम त्रिवेदी, सुधाकर मणि पटेल व अपूर्व त्रिवेदी ने भी पैरवी की।
Created On :   10 Feb 2021 3:35 PM IST