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अब गाँवों में कोरोना वायरस का कहर, मामले बढ़े, समय पर टेस्टिंग न हो पाना बड़ी समस्या
7 ब्लॉक में प्रति ब्लॉक 350 लोगों की टेस्टिंग का दावा, बीमारों की संख्या हजारों में पर टेस्टिंग हो रही कम, सेंटर से निराश लौट रहे पीडि़त, बढ़ रही बिना इलाज घरों में ही मौतों की संख्या
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना वायरस ने जिस तरीके से शहर में लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है, अब ठीक उसी तरह ग्रामीण इलाकों में भी इसका इन्फेक्शन बढ़ रहा है। गाँवों में इलाज को लेकर परेशानी यह है कि यहाँ पर उपचार से पहले जाँच का रोना है। पीडि़तों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि आखिर वे इस मर्ज से ग्रसित हैं या नहीं। सर्दी जुकाम, बुखार और कोरोना के अन्य लक्षणों के साथ पीडि़त केन्द्रों तक जाँच के लिए पहुँचते तो हैं पर ज्यादातर लोगों को टेस्टिंग का लाभ ही नहीं मिल पाता है। फीवर क्लीनिक से लेकर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर तक बनाए गए और टेस्टिंग सेंटरों में तो यह दावा किया जा रहा है कि हर दिन हर ब्लॉक में 350 जाँचें हो रही हैं लेकिन सच्चाई यह है कि इससे ज्यादा जाँचों की जरूरत है। साथ ही जिस अनुपात में संक्रमण की दर गाँवों में बढ़ रही है उस हिसाब से टेस्टिंग नहीं हो रही है।
शहर के सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक जो मरीज चैकअप के लिए आ रहे हैं, उनमें बताया जा रहा है कि ज्यादातर गाँवों से यहाँ लोग इलाज के लिए आ रहे हैं। सैंपलिंग प्रभारी डॉ. धीरज धवांडे कहते हैं कि गाँवों में 17 केन्द्रों में जाँच की जा रही है।
औसत रूप से 350 जाँच हर ब्लॉक में हो रही है और इनकी सख्या बढ़ाने की कोशिश जारी है।
पंचायतों तक पहुँचा इन्फेक्शन
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जिले की कुल 541 ग्राम पंचायतों में से 300 तक कोरोना वायरस अपनी पैठ जमा चुका है। दूर-दराज इलाकों से मरीज जाँच और इलाज के लिए पंचायत के मुख्यालय तक पहुँच रहे हैं। कम्युनिटी और प्राइमरी हेल्थ सेंटरों तक मरीज आने के बाद इलाज को लेकर वे खासे परेशान हैं।
Created On :   18 May 2021 3:09 PM IST