अब मंत्री ही काम में अड़ंगे लगाएंगे तो हम कोर्ट ही बंद कर देते हैं - हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

Now if the minister only puts a barrier on the work, then we close the court - comment of the High Court
अब मंत्री ही काम में अड़ंगे लगाएंगे तो हम कोर्ट ही बंद कर देते हैं - हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
अब मंत्री ही काम में अड़ंगे लगाएंगे तो हम कोर्ट ही बंद कर देते हैं - हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

डिजिंटल डेस्कजबलपुर । शहर की पहाडिय़ों को अतिक्रमणमुक्त करने उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई के मामले में मंगलवार को एक नया मोड़ आ गया। एक आवेदन के जरिए हाईकोर्ट में शिकायत की गई कि सरकार के मौजूदा कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने एक बैठक में अदालत के आदेश को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी की गई, जिसका वीडियो यू ट्यूब पर भी मौजूद है। दो चरणों में हुई सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मंत्री के रवैये को जमकर आड़े हाथों लेते हुए कहा- कानून बनाने वाले ही कानून का पालन करने में बाधक बन रहे हैं। यदि वे अड़ंगे ही लगाना चाह रहे हैं तो हम कल से ही कोर्ट बंद कर देते हैं।् युगलपीठ ने सरकार को कहा है कि वो 48 घंटे के भीतर इस मुद्द पर अपना रुख स्पष्ट करे। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की गई है।
शहर की पहाडिय़ों पर काबिज अतिक्रमणों के खिलाफ जनहित याचिका दायर 
गौरतलब है कि शहर की पहाडिय़ों पर काबिज अतिक्रमणों के खिलाफ वर्ष 2012 में एक जनहित याचिका किशोरी लाल भलावी की ओर से दायर की गई थी। पहाडिय़ों के अतिक्रमणों से संबंधित कुल 9 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हो रही है। मंगलवार को बिल्हरी में रहने वाले आदित्य नारायण शुक्ला की ओर से एक अर्जी देकर कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया पर सनसनीखेज आरोप लगा दिए गए। लंच के पहले हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने मंत्री के रवैये को आड़े हाथों लेते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय गुप्ता को कहा कि वे सरकार से निर्देश लेकर लंच के बाद उसका ब्यौरा पेश करें। लंच के बाद हुई सुनवाई के दौरान मामले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए युगलपीठ ने सरकार को दो दिन के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए।
कोर्ट रूम लाईव
दोपहर 1:22 से 1 :31 बजे तक-
आदित्य नारायण शुक्ला के पैरोकार श्रेयस पंडित ने कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया द्वारा एक बैठक में सिद्धबाबा की पहाड़ी में रहने वालों को लेकर दिए गए बयान की स्क्रिप्ट कोर्ट के पटल पर रखी। साथ ही बताया कि इस वीडियो यू ट्यूब पर भी मौजूद है। स्क्रिप्ट का अवलोकन करने के बाद नाराजगी जताते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस ने कहा- इस स्क्रिप्ट से साफ है कि सरकारी वकीलों के साथ-साथ नगर निगम के अधिकारियों को शिथिल करने के प्रयास किए जा रहे। यह काफी संगीन मामला है, इसलिए हम इस आवेदन पर जरूर आदेश पारित करेंगे। जो कुछ भी मंत्री ने कहा क्या वह सरकार का स्टैण्ड है? हम हैरान हैं कि किसी ने याचिका और उसमें चाही गई राहत को ही नहीं पढ़ा। वो ये मानकर चल रहे कि अतिक्रमणों को हटाने की जो भी कार्रवाई हो रही, वह हाईकोर्ट खुद से कर रहा है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय गुप्ता- माय लॉर्ड, मंत्री लखन घनघोरिया का बयान सरकार का स्टैण्ड नहीं है। न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर कार्रवाई की जा रही है। साथ ही रिपोर्ट भी पेश की गई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस- मामला काफी संगीन है, इसलिए, लंच के फौरन बाद सरकार से निर्देश लेकर जवाब पेश किया जाए। वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह से आग्रह है कि वे कोर्ट को इस मसले पर अपना सहयोग प्रदान करें।
-दोपहर 3:06 से 3:25 बजे तक-
एक्टिंग चीफ जस्टिस- हमें ये उम्मीद नहीं थी कि मंत्री ही कोर्ट के आदेश पर ऐसी टिप्पणी करेंगे। मंत्री तो कानून बनाने वाली मशीनरी का हिस्साहोते हैं, कम से कम उन्हें तो ऐसा नहीं करना चाहिए। 
एएजी अजय गुप्ता- मंत्री लखन घनघोरिया ने किस परिप्रेक्ष्य में अपने बयान दिए, फिलहाल उस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। पहले हम इसका पता लगाएंगे और फिर जवाब देंगे।
अधिवक्ता सतीश वर्मा- मंत्री जी इससे पहले ऑटो रिक्शा के खिलाफ चल रही कार्रवाई में भी बाधा पहुंचा चुके हैं। इसका ब्यौरा पिछली ऑर्डरशीट में मौजूद है। अदालत के आदेशों के विपरीत समानांतर आदेश जारी किए जा रहे हैं। उनके अधिकारियों को निर्देश हैं कि साहब का (जस्टिस झा का) ट्रांसफर होने वाला है, इसलिए धीमी गति से कार्रवाई की एक्टिंग करें।
अधिवक्ता जकी अहमद- इस मामले में कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई कर रहे अधिकारी जीएस नागेश का तबादला भी कर दिया गया। 
वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह- जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ। इस मामले में जवाब पेश करने सरकार को समय दिया जाना चाहिए। वैसे वर्ष 2005 में ग्वालियर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में तत्कालीन मंत्री अनूप मिश्रा ने बाधा पहुंचाई थी। इसके कारण उनका मंत्री पद छिन गया था।
एसीजे की तल्ख टिप्पणियाँ-
मंत्री को हटाना सुको से भी यथावत रहा- ग्वालियर के मंत्री को हटाए जाने का मुद्दा सुको तक गया, लेकिन आदेश यथावत रखा गया। अतिक्रमण के मामले में सुको मॉनीटरिंग कर रहा और वहां रिपोर्ट भेजी जाती है। हम सीबीआई से मंगा सकते हैं रिपोर्ट: आवेदन में कैबिनेट मंत्री पर काफी संगीन आरोप लगे हैं। हम चाहें तो सीबीआई से स्क्रिप्ट और वीडियो की पैन ड्राइव देकर उनसे रिपोर्ट भी बुला सकते हैं। कानून कोर्ट नहीं, सरकार बनाती है- कोई भी कानून कोर्ट नहीं बल्कि सरकार बनाती है। उसका पालन कराना भी सरकार का ही काम है। कोर्ट का काम तो कानून के नाम पर हो रहीं गड़बडिय़ों को देखना होता है। यह संवैधानिक ढांचे को ढहाने जैसा- सरकार एकतरफ खुद कानून बना रही, फिर उसे तोडऩे लोगों को प्रेरित कर रही। यह संवैधानिक ढांचे को ढहाने जैसा है। इस हम स्वीकार नहीं करेंगे। सब सरकार की नाक के नीचे हो रहा है- सब कुछ सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। इसलिए उसे जवाब तो देना ही होगा। अब अगर सरकार नहीं चाहती तो हम कल से अदालतों में सुनवाई ही बंद कर देते हैं। हम जानते सब हैं, पर बोलते कुछ नहीं- पिछले कई वर्षों से लंबित मामलों में यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। सुनवाई के दौरान हम सबकुछ देखते हैं, लेकिन जानबूझकर कई बातों को अनदेखा करते हैं।
 

Created On :   25 Sept 2019 1:11 PM IST

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