अब कुपोषण से मौत हुई तो सरकार के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई 

Now if there is death due to malnutrition, strict action will be taken against the government
अब कुपोषण से मौत हुई तो सरकार के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई 
हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी  अब कुपोषण से मौत हुई तो सरकार के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को आगाह किया है कि यदि प्रदेश के आदिवासी इलाकों में कुपोषण से और मौत हुई तो सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि यदि कुपोषण से मौत को रोकने के लिए सरकार की मशीनरी प्रभावी ढंग से काम कर रही है, तो एक साल के भीतर कुपोषण से 73 बच्चों की मौत क्यों हुई है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर विषय मानते हुए कहा कि सरकार हलफनामा दाखिल कर बताए कि आदिवासी इलाकों में अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के बीच कितने बच्चों की मौत कुपोषण से हुई है। कोर्ट ने हलफनामे में इस इलाके के लिए उपलब्ध कराए गए डॉक्टरों व वहां स्थित स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कितनी है। इसकी जानकारी भी हलफनामे में देने को कहा है। 

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मेलघाट इलाके में कुपोषण के चलते बच्चों, गर्भवती महिलाओं की होनेवाली मौतों को लेकर डॉक्टर राजेंद्र वर्मा की ओर से  दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को इस तरह की चेतावनी दी। साल 2007 में इस विषय को लेकर दायर की गई याचिका में मेलघाट इलाके में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रो की कमी, महिला व बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने के मुद्दो को भी उठाया गया है। 

एक साल में 73 बच्चों की मौत 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि मेलघाट इलाके में पिछले एक साल में कुपोषण के चलते 73 बच्चों की मौत हुई है। जबकि सरकारी वकील नेहा भिडे ने खंडपीठ के सामने कहा कि कुपोषण से होनेवाली मौत को रोकने के लिए सरकार की ओर से प्रभावी कदम उठाए गए हैं।

इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि सरकारी मशीनरी इतनी मजबूत है और सरकार कुपोषण से मौत रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है, तो एक साल में कुपोषण के चलते 73 बच्चों की मौत कैसे हुईॽ खंडपीठ ने मामले को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि अगली सुनवाई के दौरान हमें पता चला की कुपोषण के चलते आदिवासी इलाकों में और मौत हुई हैं, तो हम इसके लिए राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सचिव को जिम्मेदार ठहराएगें। हम सार्वजनिक स्वास्थय विभाग को सचेत कर रहे हैं कि यदि अगली सुनवाई के दौरान कुपोषण से बच्चों की और मौत हुई तो हम इस मामले में न सिर्फ कड़ा रुख अपनाएगें बल्कि कड़ी कार्रवाई भी करेंगे। 

केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब 

खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी हलफनामा दायर करने को कहा है। हलफनामा में केंद्र सरकार को इसका खुलासा करने के लिए कहा गया है कि उसकी ओर से कुपोषण से निपटने के लिए राज्य सरकार को कितनी निधि मंजूर की गई है। इसके साथ ही सरकार इस पूरे मामले पर कैसे निगरानी रकती है। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर 6 सितंबर 2021 को सुनवाई रखी है। 
 

Created On :   23 Aug 2021 5:47 PM IST

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