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अब अस्पताल में भर्ती होने पर ही सवाल उठा रही बीमा कंपनी
पॉलिसी धारकों को हैरान कर रहा स्टार हेल्थ कंपनी के अधिकारियों का तर्क, बढ़ रहा आक्रोश
डिजिटल डेस्क जबलपुर । बीमा कंपनियों को क्लेम न देना पड़े इसलिए कई तरीके से पॉलिसी धारकों को परेशान करने में लगी हैं। कैशलेस न करना पड़े इसलिए अनेक तोड़ बीमा कंपनियाँ निकालकर पॉलिसी धारकों से ही अस्पताल व दवाइयों के सारे बिल जेब से जमा करवा देती हैं और आश्वासन देती हैं कि बिल सबमिट करने पर हम आपको भुगतान कर देंगे। जब पॉलिसी धारक बिल सबमिट करते हैं तो बीमा कंपनियाँ कई तरह की क्वेरी निकालती हैं। पॉलिसी धारक सारे दस्तावेज दोबारा उपलब्ध कराते हैं और जल्द क्लेम भुगतान की उम्मीद करते हैं। बीमित व्यक्ति टोल-फ्री नंबर के अलावा लोकल ब्रांच में संपर्क कर जल्द क्लेम पास कराने की बात करते हैं पर उन्हें किसी तरह का सही जवाब नहीं मिलता और अचानक बीमा कंपनी नो क्लेम का लैटर भेज देती है और उसमें एडवाइजरी भी जारी कर देती है कि आपको घर पर ही रहकर इलाज कराना था अस्पताल में भर्ती होने लायक यह केस नहीं था। पॉलिसी धारका का कहना है कि बीमित के साथ जालसाजी करने वाली बीमा कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए पर अधिकारी मौन हैं।
कोरोना के मरीज का क्लेम ही रिजेक्ट कर दिया स्टार हेल्थ ने
गढ़ा शिवनगर निवासी अनिल कुमार सोनी ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से कोरोना कवच पॉलिसी ली थी। पाँच लाख तक का कवर करने का वादा बीमा कंपनी ने किया था। पीडि़त का कहना है कि 29 अप्रैल, 2021 को कोरोना संक्रमण क शिकार होने पर उन्हें सिटी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। चिकित्सकों की सलाह पर सिटी अस्पताल में उपचार शुरू हो गया था। अस्पताल में कैशलेस का कार्ड दिखाया तो बीमा कंपनी ने कैशलेस करने से इनकार दिया। कंपनी की तरफ से कहा गया था कि बिल सबमिट करने पर बिलों का भुगतान कर दिया जाएगा। पीडि़त को अस्पताल में 2 लाख 3 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ा। अस्पताल से मिले बिलों को उनके द्वारा बीमा कंपनी में लगाया गया लेकिन अनेक क्वेरी स्टार हेल्थ से माँगी जाने लगी। अनिल ने सारे दस्तावेज उपलब्ध कराए और जल्द ही बीमा कंपनी ने क्लेम सेटल करने का आश्वासन दिया, पर अचानक बीमा कंपनी ने लैटर भेज दिया कि आपको घर पर ही रहकर इलाज कराना था। अस्पताल में भर्ती होने लायक आपकी रिपोर्ट नहीं है, इसलिए हम आपका क्लेम रिजेक्ट कर रहे हैं। पीडि़त का कहना है कि बीमा कंपनी ने हमारे साथ धोखाधड़ी की है और इसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।
मैक्स बूपा मेल का जवाब ही नहीं दे रही, पॉलिसी धारक हो रहा परेशान
जयनगर यादव कॉलोनी निवासी सतीश कुमार मुदलियार ने बताया कि उन्होंने मैक्स बूपा इंश्योरेंस कंपनी से कोरोना कवच पॉलिसी ली थी। पॉलिसी लेने के बाद आर्थिक रूप से टेंशन नहीं थी। पीडि़त का कहना है कि अचानक पत्नी चंद्रकला मुदलियार का स्वास्थ्य खराब हो गया। चैक कराने पर वे कोरोना पॉजिटिव निकली। सतीश ने बॉम्बे अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया था। वहाँ पर मैक्स बूपा का कार्ड कैशलेस के लिए दिया पर अस्पताल प्रबंधन ने इनकार कर दिया। अस्पताल में 8 दिनों तक लगातार इलाज चलता रहा और 1 लाख 60 हजार अस्पताल का बिल बना। अस्पताल का बिल सतीश ने पूरा अपने पास से जमा किया। उसके बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन सबमिट किया। यहाँ तक की मेल भी किया। बीमा कंपनी द्वारा अनेक क्वेरी निकालीं। क्वेरी के बाद जल्द ही भुगतान करने के लिए बीमा कंपनी ने आश्वासन दिया लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी बीमा कंपनी ने अस्पताल व दवाइयों के बिलों का भुगतान नहीं किया। परेशान होकर पीडि़त ने आईआरडीए में मेल भी किया है। पीडि़त लगातार बीमा कंपनी से संपर्क करते आ रहे हैं पर वहाँ से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। बीमित का कहना है कि बीमा कंपनी हमें परेशान कर रही है और हमारी मनोदशा पर प्रभाव पड़ रहा है।
इनका कहना है
अनिल कुमार सोनी को किन परिस्थितियों में भर्ती किया गया है उसका हमें चिकित्सक प्रमाण-पत्र चाहिए। चिकित्सक प्रमाण-पत्र मिलने के बाद हम क्लेम रिलीज कर देंगे। -कुलदीप मिश्रा, स्टार हेल्थ
Created On :   18 Jun 2021 6:40 PM IST