अब दुनिया देखेगी चौसठ योगिनियों का दिव्य वैभव

Now the world will see the divine glory of the fourteen yogis
अब दुनिया देखेगी चौसठ योगिनियों का दिव्य वैभव
अब दुनिया देखेगी चौसठ योगिनियों का दिव्य वैभव

इंटरप्रिटेशन सेंटर बनेगा, संस्कृति मंत्रालय ने भास्कर की खबरों का लिया संज्ञान, देश के मशहूर मूर्तिकार बनाएँगे 64 योगिनियों की प्रतिकृतियाँ
मंदिर का क्या वैभवशाली अतीत है...? शिव के साथ नंदी पर सवार माँ पार्वती की प्रतिमा को पहरा देतीं 64 योगिनियों का वैदिक सार और महत्व क्या है? ये प्रतिमाएँ किस काल में बनीं और उस समय उनका क्या गौरव था...? अब देश-विदेश से आने वाले पर्यटक और हमारी नई पीढ़ी भी इन प्रश्नों के उत्तर आँखों के सामने यानी डिजिटल रूप में देख सकेगी। दरअसल चौसठ योगिनी मंदिर के वैभव और वर्तमान हालातों पर भास्कर में प्रकाशित खबरों की सीरीज को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति की विजिट के दौरान संज्ञान में लिया। इसी आधार पर अब यहाँ पर पुरातत्व विभाग ने इंटरप्रिटेशन सेंटर के निर्माण की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इस कार्य को देश के जाने-माने कलाकार अंजाम तक पहुँचाएँगे। जबलपुर के लिए यह गौरव का विषय है। इस पहल से पर्यटन के क्षेत्र में संस्कारधानी का कद और भी बढ़ जाएगा।
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 
भेड़ाघाट स्थित कल्चुरीकालीन चौसठ योगिनी मंदिर के धार्मिक और पुरातात्विक महत्व का वैभव बहुत जल्द इंटरप्रिटेशन सेंटर (व्याख्यान केन्द्र) में नजर आएगा। पुरातत्व विभाग के अनुसार  चौसठ योगिनी मंदिर के बाहर बने पुराने भवन में बनने वाले इस इंटरप्रिटेशन सेंटर के निर्माण को लेकर जमीनी तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। इसके तहत यहाँ पुराने मंदिर की तर्ज पर 7 वीं सदी में बनाई गईं मूर्तियों की प्रतिकृतियाँ बनाकर रखी जाएँगी और डिजिटली प्रेजेन्टेशन के जरिए मंदिर का धार्मिक, वैज्ञानिक और योगिनियों के तांत्रिक महत्व की जानकारी दी जाएगी। 
विश्वस्तरीय पर्यटन केन्द्र होगा विकसित 
चौसठ योगिनी मंदिर में इंटरप्रिटेशन सेंटर बनने से जबलपुर में न केवल विश्वस्तरीय पर्यटन केन्द्र विकसित होगा बल्कि नई पीढ़ी को प्राचीन सभ्यता से जोडऩे के लिए नई पहल भी शुरू होगी। 
खजुराहो-बेंगलुरु के मूर्तिकार बनाएँगे मूर्तियाँ 
सूत्रों के मुताबिक 7 वीं सदी में बनाई गईं देवी-देवताओं और योगिनियों की प्रतिकृति बनाने के लिए खजुराहो और बेंगलुरु के कई मशहूर मूर्तिकारों से संपर्क भी किया गया है। हालाँकि संस्कारधानी के कई पुरातत्व प्रेमी भी इस मामले को लेकर सामने आ रहे हैं, जिनमें से एक वरिष्ठ समाजसेवी और पुरातत्व प्रेमी इंजीनियर डीसी जैन ने चौसठ योगिनियों की मूर्ती बनाने में पुरातत्व विभाग के सामने पेशकश भी की है। श्री जैन का कहना है कि उनके संपर्क में कई ऐसे कलाकार हैं, जो प्राचीन और खंडित मूर्तियों को नए स्वरूप में ढालने में समक्ष हैं। 

Created On :   10 March 2021 2:01 PM IST

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