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अब खेती किसानी का लुत्फ ले सकेंगे पर्यटक, राज्य मेंं कृषि पर्यटन नीति को मंजूरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अन्न और फल तो सभी के खानपान की हिस्सा होते हैं, लेकिन बड़े शहरों में रहने वाले काफी लोग यह नहीं जानते कि वे जो अनाज या फल खा रहे हैं, उसे कैसे उगाया जाता है। लोगों की इसी दिलचस्पी को भुनाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने कृषि पर्यटन की नीति को मंजूरी दी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे लोग प्रदूषण मुक्त वातारण में रहने का आनंद उठाते हुए खेती किसानी को करीब से तो देख ही पाएंगे। ग्रामीण इलाकोें के विकास, कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने, कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने, लोककला-परंपरा को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था करने के लिए किसानों, कृषि सहकारी संस्थाओं, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालयों, किसान सहकारी संस्थाएं और कंपनियों को कृषि पर्यटन केंद्र बनाने की इजाजत दी जाएगी।
इन केंद्रों को पर्यटन विभाग रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र देगा। इससे बैंकों से कर्ज मिलने में आसानी होगी साथ ही वस्तु एवं सेवा कर और बिजली की दरों में भी सहूलियत दी जाएगी। ऐसी जगहों पर जहां दो से पांच एकड़ तक खेती की जमीन हो पर्यटन केंद्र बनाया जा सकेगा। यहां ठहरने के लिए कमरे और खाने की व्यवस्था और रसोई होना अनिवार्य होगा। कृषि विभाग की वेबसाइट पर इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन के लिए 2500 रुपए भरने होंगे जबकि हर पांच साल में एक हजार रुपए का नवीनीकरण शुल्क भरना होगा। इसको बढ़ावा देने के लिए एक समिति भी बनाई जाएगी।
Created On :   7 Sept 2020 3:39 PM IST