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कोरोना संकट में आत्महत्या के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लॉकडाउन के दौरान रेलगाड़ी की चपेट में आकर मारने वालों की संख्या में काफी कमी आई है लेकिन इस दौरान आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ी है। पश्चिम रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जनवरी से जुलाई महीने के बीच रेल पटरियों पर 828 लोगों ने जान गंवाई थी। इनमें से 32 यानी 3.86 फीसदी मामले आत्महत्या के तौर पर दर्ज हुए थे। लेकिन इस साल जनवरी से जुलाई महीनों के बीच रेल पटरियों पर होने वाली मौत के आंकड़े घटकर आधी रह गए और 436 लोगों ने ट्रेन की चपेट में आकर जान गंवाई। लेकिन इनमें से 43 यानी 9.8 फीसदी मामलों में लोगों ने आत्महत्या की थी।
लॉक डाउन में रेल दुर्घटनाओं में आईं कमी
पिछले साल रेल पटरियों पर मरने वाले 25 लोगों में कोई एक आत्महत्या करता था जबकि इस साल 10 में से एक व्यक्ति आत्महत्या के चलते रेल पटरियों पर जान गंवाया। मध्य रेलवे के मुंबई विभाग में भी रेल पटरी पर मरने वालों में आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल मध्य रेलवे में जनवरी से जुलाई के बीच पटरियों पर मौत के 801 मामले सामने आए थे इनमें 6 यानी 0.74 फीसदी लोगों ने आत्महत्या की थी। जबकि इस साल जनवरी से जुलाई महीने के बीच रेल पटरियों पर कुल 359 मौतें हुई थी जिनमें 1.02 फीसदी मामले आत्महत्या के हैं। हालांकि आत्महत्या के मामले और ज्यादा हो सकते हैं। दरअसल आत्महत्या के मामले में मरने वालों के परिवार वालों को बीमे की रकम नहीं मिलती इसीलिए कई बार मृतक के परिजन मोटरमैन से संपर्क कर आत्महत्या की रिपोर्ट करने की जगह दुर्घटना का मामला बताने का अनुरोध करते हैं।
Created On :   13 Aug 2020 8:31 PM IST