मेडिकल कॉलेज हड़ताल : सेवा समाप्ति और निष्कासन वापस हुए बगैर काम पर लौटने तैयार नहीं नर्सेस 

Nurses and junior doctors are not agree to return at the work
मेडिकल कॉलेज हड़ताल : सेवा समाप्ति और निष्कासन वापस हुए बगैर काम पर लौटने तैयार नहीं नर्सेस 
मेडिकल कॉलेज हड़ताल : सेवा समाप्ति और निष्कासन वापस हुए बगैर काम पर लौटने तैयार नहीं नर्सेस 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वशासी नर्सेस और जूनियर डॉक्टर्स अपने संगठनों के पदाधिकारियों की सेवा समाप्ति और निष्कासन वापस होने तक काम पर लौटने तैयार नहीं हैं। एस्मा लागू होने के बाद एक दिन पहले कॉलेज प्रबंधन ने चार ड्यूटी नर्सों की सेवा समाप्ति के साथ ही 5 जूनियर डॉक्टर्स को कॉलेज से निष्कासित कर दिया था। दूसरी ओर बुधवार को फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और रेडियाग्राफर्स के काम पर लौटने के बाद मरीजों को राहत मिली। 

दवाइयों के वितरण के साथ ही जांचों का काम आम दिनों की तरह चला। इलाज में कमी न हो इसके लिए छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के साथ ही कुछ जिलों के मेडिकल ऑफीसर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवाएं देने भेजे गए हैं। इन सब की संख्या 41 बताई गई है, इन डॉक्टर्स के आने से मरीजों के उपचार में परेशानी नहीं होगी, वहीं नर्सेस की कमी को पूरा करने के लिए निजी नर्सिंग कॉलेजों की छात्राओं को भी मेडिकल में लगाया गया है।

बुधवार को देर शाम तक डीन डॉ. नवनीत सक्सेना एस्मा और कोर्ट के आदेश का हवाला देकर नर्सेस और जूनियर डॉक्टर्स को काम पर वापस लौटने के लिए मनाते रहे। नर्सों की मांग थी कि उनकी चार साथी नर्सों की सेवा समाप्ति के आदेश को वापस लिया जाए। डीन डॉ. सक्सेना ने आदेश वापसी पर असमर्थता जताते हुए इसका निर्णय विभाग को करने की बात कही, जिस पर नर्सों ने काम पर लौटने से साफ इनकार कर दिया।

कोर्ट में रखेंगे पक्ष
नर्सेस एसोसिएशन की मीडिया प्रभारी विनीता गुप्ता ने बताया कि संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ग्वालियर की रेखा परमार सेवा समाप्ति के मामले में भोपाल में आंदोलन कर रहीं हैं। बताया गया कि नर्सों को जो नियुक्ति पत्र मिला था उसमें लिखा है कि प्रदेश शासन के सभी नियम उन पर लागू होंगे। इस लिहाज से उन्हें सातवां वेतनमान दूसरे कर्मचारियों के समान ही मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष इस मामले में कानूनी सलाह लेकर अगला निर्णय लेंगी, तबतक हड़ताल जारी रहेगी।

सीनियर नर्सों ने दिया समर्थन
सुबह स्वाशासी नर्सों ने मेडिकल परिसर स्थित काफी हाउस में पत्रकारवार्ता आयोजित कर रेगुलर नर्सों का भी समर्थन होने की बात की। नर्सेस एसोसिएशन की मीडिया प्रभारी ने बताया कि सीनियर नर्सों ने बुधवार का उनके समर्थन में 11 बजे से दो घंटे काम बंद रखा। पत्रकारवार्ता में मौजूद दो सीनियर नर्सों अंजू चटर्जी और अंजना श्रीवास्तव ने सेवा समाप्ति वापस नहीं होने पर गुरूवार से उनके भी हड़ताल पर जाने की बात कही। हालांकि शाम तक इस पर असमंजस बना रहा।

जूूडा को आदेश का इंतजार
जूनियर डॉक्टर्स ने भी डीन से चर्चा में साथी डॉक्टर्स के निष्कासन को समाप्त करने की मांग की, जिसपर डीन ने असमर्थता जताई। निष्कासन समाप्त हुए बगैर जूडा ने काम पर लौटने से साफ इंकार कर दिया। जूडा एसोसिएशन के अभिषेक मेहता, हर्ष जोशी आदि का कहना है कि कोर्ट के निर्णय की प्रति मिलने के बाद वे कानूनी सलाह लेकर अगला निर्णय लेंगे। तब तक यह हड़ताल यथावत रहेगी।

मरीजों में कमी, ओपीडी घटी
हड़ताल के चलते मरीजों ने भी मेडिकल की ओर कम रूख किया है। वार्डों में मरीजों की संख्या घटी है, सर्जरी, आर्थोपेडिक वार्ड को छोड़ दिया जाए तो अन्य में ज्यादातर बेड खाली नजर आए।

आज से बढ़ेंगे डॉक्टर
जूडा की कमी पूरी करने के लिए छिंंदवाड़ा मेडिकल कालेज से 29 डॉक्टर्स को जबलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल बुलाया गया है। इसके साथ ही कालेज प्रबंधन ने सीएमएचओ तथा रीजनल डायरेक्टर हैल्थ को भी पत्र लिखकर सरकारी अस्पतालों से डॉक्टर उपलब्ध कराने पत्र लिखा था। अस्पताल को नरसिंहपुर के 5, मंडला केे 3 और जबलपुर के 4 मेडिकल आफीसर दिए गए हैं, ये सभी गुरूवार से मेडिकल में सेवाएं देंगे। बुधवार को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के काम पर वापस आने पर दवाईयों के वितरण के साथ ही जांचों को काम आम दिनों की तरह चला।

इनका कहना है
जूडा और नर्सों को कोर्ट के आदेश के बाद काम पर लौटने के लिए कहा गया, लेकिन वे अपनी बात पर अड़े हैं। बाहर से डॉक्टर्स बुलाए गए हैं साथ ही प्राइवेट नर्सिंग कालेजों की छात्राओं को लगाया गया है। काम पर नहीं लौटने की स्थिति में जूडा और नर्सों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

डॉ. नवनीत सक्सेना, डीन, एनएससीबी मेडिकल कालेज

Created On :   26 July 2018 2:04 PM IST

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