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बाजार सड़कों पर काबिज, हॉकर जोन का विकल्प भी फेल, खरीददारी के समय पीक ऑवर्स में जनता की मुसीबत

अब आबादी के हिसाब से ज्यादातर सड़कें हो चुकीं सँकरी, उस पर भी सितम यह है कि आधी से ज्यादा सड़क पर दुकानों की सामग्री और अस्थाई ठेले वालों का कब्जा, समस्या का लंबे अरसे से समाधान नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर में सड़कों पर लगने वाले बाजार के लिए अलग स्थान चिन्हित कर हॉकर जोन बनाये गये, पर सच्चाई यही है कि इन हॉकर जोन से किसी तरह की सहूलियत जनता को नहीं मिल सकी है। सब्जी के ठेले अब भी उन्हीं स्थानों पर लग रहे हैं जहाँ पर पहले लगते आ रहे हैं। आबादी बढ़ी, सड़कें सँकरी हो रही हैं पर दबाव वाले बाजारों में वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराने की सोच अमल में नहीं आ सकी है। अभी सबसे व्यस्त इलाके बड़ा फुहारा में ही हालत ऐसी है कि पीक टाइम में यहाँ दुकानों के सामने ठेले में अस्थाई दुकान होती हैं और आदमी एकदम चुनौती भरे अंदाज में खरीददारी कर पाता है। जबलपुर में सड़कों को खाली करवा कर चलने की सहूलियत देने की हर कोशिश बीते सालों में नाकाम साबित हुई है। दूसरे और शहरों ने समस्या को समझा और विकल्प अपनाये, पर यहाँ सड़कों में चलने के दौरान सामने आने वाली परेशानी को गंभीरता से समझा ही नहीं जा रहा है। शहर में मुख्य बाजारों से अतिरिक्त चौराहों, प्रमुख सड़कों में बीच के हिस्से तक कब्जों के साथ छोटे-छोटे बाजार सज रहे हैं, पर किसी तरह से इसका समाधान नहीं निकलता दिख रहा है। शाम के वक्त जब ट्रैफिक ज्यादा होता है तो इन इलाकों से िनकलने के दौरान आम आदमी को अच्छी खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
यहाँ सभी विकल्प हो गए फेल
गोरखपुर में हॉकर जोन बना लेकिन सब्जी दुकान सड़क पर, इसी तरह लेबर चौक, रानीताल रोड, धनवंतरी नगर, अधारताल में वैकल्पिक प्रयास पूरी तरह से फेल साबित हुये। त्रिपुरी तिराहा, मेडिकल तिराहा, दीनदयाल चौक, पण्डा की मढिय़ा, माल गोदाम चौक अनेक ऐसे चौराहे हैं जहाँ पर नये सब्जी बाजार लगने लगे।
15 जिलों के लोगों का आना-जाना
खरीददारी के हिसाब से फेस्टिवल सीजन, शादियों के मौसम में जबलपुर शहर में आसपास के करीब 15 जिलों के लोगों का ज्यादातर आना-जाना होता है। रीवा, मैहर, कटनी से लेकर सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, मण्डला, डिण्डौरी, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, दमोह आदि 15 से 17 जिलों के लोग खरीददारी करने यहाँ आते हैं। बाजारों में इस दौरान बेहद भीड़ होती है। शहरी आबादी के साथ आसपास के जिलों के लोग मिलने से भीड़ और उस पर सँकरी सड़क ज्यादा तकलीफदेह साबित होती है।
Created On :   22 Dec 2020 3:10 PM IST