नियमों को ताक पर रख कर दी आंगनबाड़ी सहायिकाओं की नियुक्तियां, अधिकारी पर कार्रवाई प्रस्तावित

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नियमों को ताक पर रख कर दी आंगनबाड़ी सहायिकाओं की नियुक्तियां, अधिकारी पर कार्रवाई प्रस्तावित

डिजिटल डेस्क, शहडोल। महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश खरे ने वर्ष 2009 से 2010 के बीच परियोजना अधिकारी सोहागपुर के पद रहते हुए नियमों को ताक पर रखते हुए आंगनबाड़ी सहायिकाओं की वैकल्पिक नियुक्यिां कर दी। हैरानी की बात यह है कि नियुक्तियां संबंधित किसी प्रकार का प्रावधान था ही नहीं। वहीं लाडली लक्ष्मी योजना अंतर्गत 14 हजार से अधिक प्रमाण पत्र बिना लेमिनेशन और फोल्डर के ही करा दिया गया। अब संबंधित अधिकारी के खिलाफ जांच प्रस्तावित की गई है।

एक सप्ताह में मांगा जवाब
दोनों मामलों में जिला कार्यक्रम अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। संभागायुक्त जेके जैन ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को आरोप ज्ञापन भेजते हुए एक सप्ताह के भीतर पक्ष रखने के लिए कहा है। जवाब नहीं मिलने पर एक तरफा कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश खरे के खिलाफ पोषण आहार में अनियमितता और वैकल्पिक नियुक्तियों के संबंध में शिकायत मिली थी।

पिछले माह मिला प्रतिवेदन
मामले में संभागीय संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 31 जनवरी को कमिश्नर कार्यालय में प्रतिवेदन भेजा गया था। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2009 से 2010 के बीच परियोजना अधिकारी सोहागपुर के पद पर रहते हुए राकेश खरे ने कुल आठ वैकल्पिक नियुक्तियां आंगनबाड़ी सहायिकाओं के पद पर की थीं। जबकि पद रिक्त होने की स्थिति में आंगनबाड़ी भर्ती नियमों में वैकल्पिक नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है। सिर्फ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका के मातृत्व अवकाश पर जाने की स्थिति में ही छह माह के लिए वैकल्पिक नियुक्ति की जा सकती है। इस प्रकार सभी आठ वैकल्पिक नियुक्तियां वैधानिक नहीं थीं।

1.46 लाख की हुई गड़बड़ी
एक अन्य आरोप 1.46 रुपए की गड़बड़ी का है। कंप्यूटर ऑपरेटर संगीता कुशवाहा द्वारा लाडली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत बनाए गए 14400 प्रमाणपत्रों को बिना लेमिनेशन एवं फोल्डर के वितरित करा दिया गया और पूरा भुगतान ले लिया गया। इस मामले में 1.46 लाख रुपए की वसूली प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के स्तर से की जानी थी, लेकिन आज तक वसूली की कार्रवाई नहीं कराई गई। आरोप ज्ञापन में कहा गया है कि राशि की वसूली न होना प्रकरण में प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी की संलिप्तता को प्रदर्शित करता है। उनके विरुद्ध मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के सहपठित नियम 10 (4) के अधीन कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।

Created On :   18 Feb 2019 4:18 PM GMT

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