अंत्यावसायी विभाग में फर्जीवाड़ा: 95 हितग्राहियों से धोखाधड़ी, भृत्य को बना दिया हितग्राही

Officers and employees of occupational department caught in fraud
अंत्यावसायी विभाग में फर्जीवाड़ा: 95 हितग्राहियों से धोखाधड़ी, भृत्य को बना दिया हितग्राही
अंत्यावसायी विभाग में फर्जीवाड़ा: 95 हितग्राहियों से धोखाधड़ी, भृत्य को बना दिया हितग्राही

डिजिटल डेस्क, कटनी। करोड़ों के घोटाले में अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के अफसर और कर्मचारियों की गर्दन जांच में पूरी तरह से फंस चुकी है। यहां पर तो अनियमितता की कहानी इस तरह से लिखी गई कि आफिस के भृत्य को ही हितग्राही बताकर उसके खाते में ऋण की राशि जमा कराने का काम अफसरों ने किया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और आर्थिक कल्याण में 95 हितग्राहियों के खाते में गड़बड़ी के पुख्ता प्रमाण होने के बाद एडीएम ने अन्य लाभांवित हितग्राहियों की फाइल भी तलब की है। जिसके बाद यह घोटाला करोड़ों में पहुंच सकता है। जांच में यह बात सामने आई कि हितग्राहियों को पांच से दस हजार रुपए देकर उनसे दस्तावेज अंत्यावसायी के अफसर हासिल कर लेते थे। इसके बाद उन्हीं दस्तावेजों में ऋण स्वीकृत करते हुए किसी दूसरे के खाते में राशि जमा करने का काम करते थे। जिसमें बैंक की भूमिका भी संदिग्ध माना गया है। एडीएम ने कहा कि जांच करीब पूरी हो चुकी है। बैंक अधिकारियों से दस्तावेज दिखाने को कहा गया है।  

ऐसे सामने आई थी गड़बड़ी
कार्यालय में तो यह खेल अरसे से जारी रहा, लेकिन यह गड़बड़ी तब सामने आई। जब संबंधित हितग्राहियों के पास वह दस्तावेज पहुंच गया। जिसमें उन्हें ऋण स्वीकृत करने करते हुए यह बताया गया था कि लोन की मार्जिन मनी बैंक खातों में जमा करा दी गई है। बैंक पहुंचे तो यहां पर जमा राशि की बात तो दूर, बैंक के द्वारा यह कहा गया कि उनका खाता बंद हो चुका है। इसके बाद हितग्राही कलेक्टर के यहां शिकायत किए, जिसके बाद यह गड़बड़ी सामने आई।  

करोड़ों की मार्जिन मनी
मार्जिन मनी के रुप में बीते तीन वर्ष में करोड़ों रुपए बैंकों में जमा कराए गए हैं। जिनकी जांच की गई, तो कई तरह की गड़बड़ी सामने आ सकती है। वर्ष 2017-18 में करीब 1.50 करोड़ रुपए जमा कराए गए। वर्ष 2016-17 में यह राशि 1.41 करोड़ रही। वर्ष 2015-16 में मार्जिन मनी की राशि 1 करोड़ 38 लाख रुपए रही। बताया तो यह जा रहा है कि भले ही हितग्राहियों ने ऋण न लिया हो, लेकिन उनके नाम से अफसर ही मार्जिन मनी निकाल लिए।

इस तरह से खेला-खेल
विभाग के अफसर और कर्मचारी घोटाले के लिए दलाल पाल रखे हुए थे। दलाल ही अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों और अंत्यावसायी अफसरों के बीच पहचान का काम कराते थे। एक बार हितग्राही चिन्हित हो जाने पर दलालों का काम समाप्त हो जाता। जांच अधिकारियों ने पाया कि इसके लिए किसी खास जगह के हितग्राहियों को ही चुनने का काम संबंधित जिम्मेदार करते थे।   

ऑफिस छोड़कर भागे सीईओ
जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद कार्यपालन अधिकारी पीके वर्मा सहित अन्य लिपिक भी कार्यालय से नदारदत हैं। पिछले एक सप्ताह से कम्प्यूटर ऑपरेटर ही आफिस चला रहा है। जांच अधिकारी ने भी बताया जांच के लिए विभाग के सीईओ को पिछले कई दिनों से बुलाया जा रहा है। सोमवार को विभाग के कर्मचारियों ने जानकारी दी है कि सीईओ कार्यालय आ चुके हैं।  

इनका कहना है
जांच के दौरान अंत्यावसायी में करोड़ों रुपए की अनियमितता सामने आई है। हितग्राहियों को पांच से दस हजार रुपए देकर दस्तावेज हासिल करते हुए अन्य खातों में राशि जमा किए जाने की बात भी सामने आई है। बैंक और अंत्यावसायी विभाग के अफसरों को दस्तावेज लेकर बुलाया गया है।   
आर.उमामहेश्वरी, एडीएम कटनी

 

Created On :   22 Jan 2019 1:25 PM IST

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