- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- चौराहों पर लगे यूनिपोल में उड़ रहीं...
चौराहों पर लगे यूनिपोल में उड़ रहीं ट्रैफिक रूल्स की धज्जियाँ, सब जानकर भी अनजान बने बैठे हैं अफसर

मीडिया पॉलिसी का हो रहा खुला उल्लंघन - हादसों का कारण बनते हैं रात में चमकते यूनिपोल, साल भर पहले दिए थे नोटिस, इसके बाद भूल गया नगर निगम, हर तरफ मनमानी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मीडिया पॉलिसी 2017 का निर्माण ही इसलिए किया गया था कि शहरों में अवैध, बेढँगे और मनमानी से लगाए जा रहे होर्डिंग्स, यूनिपोल, जेंट्री गेट, कियोस्क और पोस्ट साइनेज पर नियंत्रण किया जा सके, लेकिन इस पॉलिसी का कभी पालन नहीं कराया गया। इसी पॉलिसी में नियम है कि किसी भी चौराहे और तिराहे पर किसी भी प्रकार का विज्ञापन प्रदर्शित न किया जाए, क्योंकि इससे वाहन चालकों का ध्यान भंग होता है और दुर्घटनाएँ होती हैं, लेकिन कमीशनखोर अधिकारियों ने नियम की अपनी अलग व्याख्या कर ली और हर चौराहे और तिराहे पर यूनिपोल, जेंट्री गेट लगवा दिए। निगम के जानकार अधिकारी, यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी यहाँ तक की सामाजिक कार्यकर्ता चीखते रहे कि शहर के नागरिकों की जान व माल की खातिर इन कमजोर स्ट्रक्चरों को अनुमति न दी जाए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी और पूरे शहर को यूनिपोल से पाट दिया गया। आज तक किसी भी अधिकारी ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि इनका स्ट्रक्चर मजबूत है या नहीं।
एक समय था जब शहर में हजारों की संख्या में होर्डिंग्स लगाए गए थे, जिनमें से अधिकांश अवैध थे। यह सब हुआ था निगम के अधिकारियों और होर्डिंग एजेंसियों की साँठगाँठ से। इससे करोड़ों रुपयों का वारा न्यारा हुआ। कइयों की जेबें भरीं तो बहुतों के घर भर गए। ऐसा लगने लगा जैसे शहर को होर्डिंगों के पीछे छिपा दिया गया है और शहर ठीक से साँस भी नहीं ले पा रहा है, फिर माननीय न्यायालय ने आदेश दिया कि शहर से सभी अवैध होर्डिंगों को हटाया जाए और एक पॉलिसी बनाई जाए, जिससे यह मनमानी रुके। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में मीडिया पॉलिसी का निर्माण किया और उसी में यह प्रावधान किया गया कि अब होर्डिंग नहीं लगाए जा सकेंगे बल्कि उनकी जगह यूनिपोल लगाए जाएँ ताकि मजबूती कायम रहे और किसी प्रकार की दुर्घटना न हो। इसके साथ ही सबसे अहम तथ्य यह था कि इन यूनिपोल को लगाने के नियम तय किए गए लेकिन उन नियमों को मानने कोई तैयार नहीं है।
रोड कांग्रेस के नियमों का उल्लंघन कर लगाए यूनिपोल
गत वर्ष अवैध होर्डिंगों के मामले में दायर की गई अवमानना याचिका में माननीय न्यायालय ने नगर निगम अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी और कठोर कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। न्यायालय ने साफ कहा था कि रोड कांग्रेस के अनुसार ही यूनिपोल, जेंट्री गेट, कियोस्क आदि लगवाए जाएँ क्योंकि यातायात का मामला गंभीर होता है, इसमें किसी की जान भी जा सकती है। आदेश के बाद हरकत में आए निगम ने दीपक एडवरटाइजिंग एजेंसी, प्लेनेट, मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्ट्रीब्यूटर्स, सेवन स्टार, एसएस एडवरटाइजर्स, एसएस कम्युनिकेशन और सागरदीप एडवरटाइजर्स को शोकॉज नोटिस जारी करते हुए 3 दिन का समय दिया था और कहा गया था कि इस समय में यह बताना होगा कि उनके यूनिपोल, जेंट्री गेट, टॉयलेट के विज्ञापन या फिर सोलर डस्टबिन इंडियन रोड कांग्रेस के नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। नोटिस में इस बात का भी उल्लेख था कि एजेंसियाँ यह बताने में सफल नहीं होती हैं तो 3 दिन बाद निगम यूनिपोल, जेंट्री गेट या अवैध होर्डिंगों को निकालने के लिए स्वतंत्र होगा। हालाँकि इसके बाद कोरोना का कहर छा गया जिससे यह मामला शांत हो गया।
मीडिया पॉलिसी भी यही कहती है
मध्यप्रदेश आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 में भी इस बात का उल्लेख है कि चौराहों और तिराहों के 50 मीटर के दायरे में होर्डिंग, यूनिपोल आदि नहीं लगाए जा सकते। सड़क से दूरी का भी साफ-साफ उल्लेख है कि किसी भी सड़क और फुटपाथ से कम से कम 3 मीटर की दूरी के बाद ही यूनिपोल लगाए जा सकते हैं, जबकि शहर में कई फुटपाथों पर ही यूनिपोल लगाए गए हैं।
यह कहते हैं रोड कांग्रेस के नियम
इंडियन रोड कांग्रेस के नियम कहते हैं कि सड़क के बिल्कुल पास कोई भी विज्ञापन नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि इससे वाहन चालकों का ध्यान भटकता है। चौराहों और तिराहों पर भी होर्डिंग, यूनिपोल या कोई भी विज्ञापन फलक नहीं होना चाहिए। विज्ञापनों पर चमकीली लाइट्स का भी उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे वाहन चलाने वालों को भ्रम होता है और वे दुर्घटना कर बैठते हैं।
Created On :   12 Feb 2021 3:01 PM IST