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अमेरिका में हिंदी शिक्षा की अलख जगा रहे हैं बिहार के ओझा
डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह कौशिक। कभी मुंबई में हिंदी पत्रकारिता से जुड़े रहे अशोक ओझा अब अमेरिका में हिंदी शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। ओझा पिछले 15 वर्षों से अमेरिका में हिंदी शिक्षा से जुड़े हैं। उनके इस कार्य में अमेरिकी सरकार भी मदद करती है। ओझा के नेतृत्व में जल्द ही अमेरिका में हिंदी की पढ़ाई कर रहे छात्रों का एक दल भारत दौरे पर आएगा। मूल रुप से बिहार के सासाराम जिले के निवासी ओझा रोजगार को लेकर वर्ष 1974 में मुंबई आए थे। यहां उन्होंने कई वर्षों तक हिंदी के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं मे बतौर पत्रकार कार्य किया। बाद में चार साल तक हिंदी डिवीजन के सलाहकार भी रहे। 1995 में वे मुंबई से अमेरिका चले गए। फिलहाल अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में रहने वाले ओझा को हाल ही में ही ‘फूल ब्राइट–हैश’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मुंबई प्रवास पर आए ओझा ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में बताया कि आगामी नवंबर माह में हिंदी शिक्षा ग्रहण कर रहे अमेरिकी छात्रों का एक दल भारत आने वाला है। दल में शामिल छात्र इस यात्रा में हिंदी के साथ-साथ भारत की गौरवशाली विरासत को भी समझने का प्रयास करेंगे। इस दौरे के आधार पर अमेरिका में हिंदी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जयपुर के ज्योतिराव फुले विश्वविद्यालय और नैनीताल के कुमाऊं विश्वविद्यालय हाल ही में हमारी संस्था से जुड़े हैं।
अमेरिका के 100 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है हिंदी
ओझा ने बताया कि फिलहाल अमेरिका के 100 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। ओझा बताते हैं कि गर्मी की छुट्टियों में हिंदी की कक्षाए लगती हैं। इसके लिए हम स्कूल किराए पर लेते हैं। अमेरिका में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों को हम सिर्फ भाषा का ज्ञान नहीं देते बल्कि उन्हें भारत के बारे में भी बताते हैं। उनके छात्रों में भारतीय मूल के छात्रों के अलावा अमेरिकी बच्चे भी शामिल रहते हैं। अधिकांश भारतीय मूल के छात्र गैर हिंदीभाषी होते हैं। वर्ष 2010 में अमेरिका सरकार के हिंदी कार्यक्रम के निदेशक बने ओझा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए एक संस्था ‘युवा हिंदी संस्थान’ व ‘हिंदी संगम फाउंडेशन’ की स्थापना भी की है। यह संस्था अमेरिका में लोगों को हिंदी सिखाने के अलावा समाज में हिंदी के प्रति प्रेम पैदा करने के लिए कार्य करती है। खुजराहो पर उनके द्वारा बनाई गई डाक्यूमेंट्री को अमेरिका के विश्वविद्यालयों में दिखाया जाता है।
हिंदी फिल्में देखने के लिए भी सिखते हैं हिंदी
ओझा बताते हैं कि अमेरिका में हिंदी फिल्में काफी लोकप्रिय हैं। बहुत से लोग सिर्फ हिंदी फिल्में देखने के लिए हमारे पास हिंदी सिखने आते हैं। अमेरिका में हिंदी के प्रचार प्रसार में हिंदी फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अमेरिका में हिंदी को हेरिटेज भाषा का दर्जा है। एक सवाल के जवाब में ओझा कहते हैं कि हिंग्लिश कोई भाषा नहीं है। यह हिंदी के लिए खतरा है। हमें इससे बचना चाहिए।
न्यूयार्क में होगा अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
ओझा ने बताया कि पांचवे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन आगामी 7 अक्टूबर से न्यूयार्क स्थित भारतीय दूतावास में किया गया है। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारत से कई लोग हिस्सा लेंगे। अब तक वर्ष 2014, 2015, 2016 व 2017 में यह सम्मेलन हो चुका है।
Created On :   28 May 2022 7:42 PM IST