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दंत विज्ञान विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर रेप के आरोपी को मिली 20 साल की सजा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता के ओठों पर आरोपी के दांतो के निशान के आधार पर उसकी 20 साल के कारावास की सजा को बरकरार रखा है। हालांकि पीड़िता ने इस मामले में आरोपी को पहचानने में असमर्थता जाहिर की थी किंतु हाईकोर्ट ने दंत विज्ञान विशेषज्ञ की फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के प्रति किसी प्रकार की नरमी दिखाने से मना कर दिया। कोर्ट के फैसले के मुताबिक इस मामले में पीड़िता को जिस आघात का सामना करना पड़ा है उसे देखते हुए यह समझा में आता है कि वह आरोपी की पहचान करने में असमर्थ थी।
6 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोप में मुंबई की विशेष अदालत ने जुलाई 2017 में आरोपी श्रीनिवास एन.एस को पाक्सो व दुष्कर्म के आरोप में 20 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की खंडपीठ के सामने श्रीनिवास की अपील पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े सबूतों पर गौर करने के बाद आरोपी के कृत्य को अमानवीय बताया और कहा कि आरोपी ने बड़ी बेरहमी से पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है। जिससे उसे गहरा मानसिक व शारीरिक आघात लगा है। पीड़िता के शरीर में कई जगह काटने के निशान हैं। मामले से जुड़े सबूत दर्शाते हैं कि पीडिता के ओठों पर आरोपी के दांत के निशान उसके दातों से मिलते। विशेषज्ञ ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टी की है।
पीड़िता के मुताबिक आरोपी उसे जंगल में ले गया था जहां बारिश के बीच उसने उसके कपड़े उतरे फिर उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे पानी में फेंक दिया था। इस दौरान आरोपी ने अपना चेहरा छुपाया हुआ था। वहीं आरोपी के वकील ने कहा कि पीड़िता ने उसे नहीं पहचाना है। उसे अपराध को अंजाम देते समय किसी ने नहीं देखा है। घटना को लेकर कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मेरे मुवक्किल को फंसाया गया है। मेरे मुवक्किल घटनावाले दिन यहां नहीं थे। वे आंध्रप्रदेश में थे।
मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि फोरेंसिक दंत विज्ञान विशेषज्ञ की ओर से दी गई रिपोर्ट स्वतंत्र सबूत है। यह नहीं कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष ने पीड़िता के ओठों व शरीर पर हूबहू वैसे निशान बनाए हैं जिनका आकार आरोपी के दांतो से मिलता हो। इस मामले में पीड़िता को जिस आघात का सामना करना पड़ा है उसे देखते हुए यह समझ में आता है कि वह आरोपी की पहचान करने में असमर्थ थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह के परे जाकर साबित किया है। आरोपी का अपराध काफी गंभीर है। इसलिए उसकी सजा को घटाया नहीं जा सकता है। इसलिए आरोपी की अपील को खारिज किया जाता है। न्यायमूर्ति ने राज्य सरकार को पीड़िता को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ देने का भी निर्देश दिया है।
Created On :   28 Aug 2022 3:14 PM IST