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रादुविवि में अगले 7 सालों में घटकर रह जाएँगे सिर्फ 6 नियमित प्रोफेसर
शिक्षा पर संकट - प्रभारी विभागाध्यक्षों के भरोसे चल रहे 30 में से 13 विभाग, 2 में कोई विभागाध्यक्ष ही नहीं
अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रही पढ़ाई, खतरे मेें दिख रहा छात्रों का भविष्य
डिजिटल डेस्क जबलपुर । रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब हो रही है। वजह विवि में नियमित प्रोफेसरों की लगातार कमी होना है। फिलहाल विवि की बागडोर 40 नियमित प्रोफेसरों के भरोसे है, लेकिन सन् 2028 के बाद यह संख्या भी घटते हुए 6 पर सिमट जाएगी, क्योंकि इन सालों तक विवि के 34 नियमित प्रोफेसर सेवानिवृत्त हो जाएँगे। इसी साल 2021 में ही 6 नियमित प्रोफेसर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। यहाँ की हालत इतनी खस्ता है कि विवि के कुल 30 विभागों में से 13 में प्रभारी विभागाध्यक्षों से काम चलाया जा रहा है।
यहाँ के पुराने जानकार बताते हैं कि गत 20 सालो में विवि तकरीबन 10 बार नियमित भर्तियों के लिए विज्ञापन जारी कर चुका है, लेकिन हर बार शासन किसी न किसी तरह का बहाना जैसे कभी बैकलॉग की भर्ती पहले करो या अभी फाइनेंशियल पोजीशन ठीक नहीं है, इसलिए अपॉइंटमेंट मत करो आदि की बात कह नियमित भर्तियों पर रोक लगा देता है। इधर विडम्बना यह है कि गेस्ट फैकल्टी की अपॉइंटमेंट को नैक नहीं मानती है। यही कारण है कि नैक से ए ग्रेड हासिल करने में भी विवि को खासी जद््दोजहद करनी पड़ रही है।
वो भी एक दौर 8एक दशक पहले तक थे 160 प्रोफेसर
बताया जा रहा है कि रादुविवि में एक दशक पूर्व 160 नियमित प्रोफेसर थे। जिनकी संख्या कम होकर अब 40 हो गई है। इनमें से एक प्रोफेसर लीयन पर हैं। लगातार नियमित प्रोफेसरों की कमी के कारण यहाँ छात्रों की प्रवेश संख्या भी घट रही है। घटती शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन रादुविवि में कराने से कतराते हैं। आलम ऐसा है कि खुद यहाँ कार्यरत नियमित प्रोफेसर भी अपने बड़े हो चुके बच्चों को रादुविवि से अध्यापन कराने की बजाय हायर स्टडीज के लिए दूसरे बड़े शहरो में भेजते हैं। वजह वे खुद ही विवि की शैक्षणिक प्रणाली से बेहतर ढँग से रू-ब-रू हो चुके हैं।
लॉ डिपार्टमेंट को 2 नियमित प्रोफेसर मिले
गत दो साल पहले विवि के लॉ डिपार्टमेंट में 2 नियमित प्रोफेसरों की भर्तियाँ होने की बात बताई गईं। ये भर्तियाँ भी कोर्ट के आदेश पर हुई हैं। वजह यहाँ के विद्यार्थियों द्वारा नियमित प्रोफेसर की माँग करते हुए कोर्ट में चले जाना था। इसके चलते मजबूरी में शासन को झुकना पड़ा था।
छात्रों का घट रहा रुझान
विवि में नियमित प्रोफेसरों की कमी के कारण विद्यार्थियों का रुझान भी घट रहा है। फिलहाल विवि में 1800 के करीब छात्र संख्या बताई जा रही है। हालाँकि इसका पुख्ता आँकड़ा विवि की वेबसाइट से नदारद है। क्वालिटी एजुकेशन विद्यार्थियों को न मिल पाने के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं।
Created On :   25 Feb 2021 2:55 PM IST