कृषि विधेयक पर कांग्रेस का विरोध किसानों को भ्रमित करने जैसा - फडणवीस

Oppose of Agriculture Bill by Congress is like confusing to farmers - Fadnavis
कृषि विधेयक पर कांग्रेस का विरोध किसानों को भ्रमित करने जैसा - फडणवीस
कृषि विधेयक पर कांग्रेस का विरोध किसानों को भ्रमित करने जैसा - फडणवीस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कृषि विधेयक को लेकर केंद्र सरकार के विरोध को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राजनीतिक ठहराया है। उन्होंने कहा है कि नए कानून बनने से किसानों का हित होगा। इस तरह का कानून पहले से ही महाराष्ट्र में बना हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने घोषणापत्र में कृषि सुधार का वादा किया था। लेकिन अब विरोध करके किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस के आरोप लबाड़ अर्थात ठगी के हैं। सोमवार को फडणवीस ने कहा कि नए कानून से कृषि उपज के लिए एकल बाजार की सुविधा उपलब्ध होगी। कृषि उपज बाजार में आड़तिया अर्थात कमीशन एजेंट के माध्यम से होती रही लूट नहीं होगी। 

कृषि उपज बिक्री के लिए 8 प्रतिशत तक कर दिए जाने से की व्यवस्था से छुटकारा मिलेगा। ठेका प्रणाली से कृषि उपज बिकेंगे। छोटे किसानों को भी लाभ मिलेगा। कृषि उपज देश में कहीं भी ले जाकर बेचा जा सकेगा। इस तरह के कृषि सुधारों की सिफारिश नीति आयोग के टास्क फोर्स ने की थी। फडणवीस के अनुसार उनके नेतृत्व में टास्क फोर्स में तत्कालीन मुख्यमंत्रियों का टास्क फोर्स में शामिल किया गया था। उसमें मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शामिल थे। कमलनाथ ने भी जो सुझाव व मार्गदर्शन दिए, उसी के अनुरुप टास्क फोर्स ने सिफारिश की थी। स्वामीनाथन आयोग ने भी इसी तरह के सुधारों की सिफारिश की थी। एक देश एक बाजार की व्यवस्था का सभी ने समर्थन किया।

कांग्रेस के घोषणापत्र में प्रमुखता से दावा किया गया था कि कृषि उपज की बिक्री के लिए अंतरराज्यीय बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। बाजार समितियों के कानून में सुधार किया जाएगा। महाराष्ट्र में 2006 में कांग्रेस राकांपा के नेतृत्व की सरकार ने कांट्रेक्ट फार्मिंग के कानून बनाए। उसका लाभ मिला। किसानों से कंपनियों का जुड़ाव हुआ। कृषि विधेयक को लेकर किसानों के आंदोलन में कांग्रेस के झंडे दिख रहे हैं। भाजपा किसानों से चर्चा करके कृषि विधेयक को लेकर फैलाया गया भ्रम दूर करेगी। इस दौरान महापौर संदीप जोशी, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, विधायक कृष्णा खोपडे, विधायक गिरीश व्यास, विधायक विकास कुंभारे, विश्वास पाठक, दयाशंकर तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

- बिहार चुनाव में कांग्रेस व जदयू को मुखौटा उतरेगा।

- शिवसेना कन्फ्यूज्ड है। कृषि विधेयक को लेकर उसने लोकसभा व राज्यसभा में अलग अलग मत रखा है। राज्य में भाजपा के साथ सत्ता में रहते हुए भी वह विपक्ष की भूमिका निभाते रहती थी। लिहाजा सेना को पहले अपनी भूमिका तय करना चाहिए। नए कानून से किसान आत्महत्या रोकने की गारंटी संबंधी शिवसेना के सांसद संजय राऊत की मांग पर कहा कि राज्य में शिवसेना के नेतृत्व की सरकार है , वह ही इस तरह की गारंटी दे।

- राहुल गांधी अपना घोषणा पत्र पढ़ते तो कृषि विधेयक को लेकर विरोध नहीं करते।

- पुलिस अधिकारियों को लेकर गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपनी बात को पहले ही साफ तौर पर रखना था। गृह विभाग के प्रमुख होने के नाते कोई भी गृहमंत्री अपने अधिकारियों पर अविश्वसनीयता नहीं जताते हैं। खबर है कि टेलीफोन टैपिंग का अधिकार गृहमंत्री अपने पास रख रहे है। अगर ऐसा है तो यह उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा। न्यायालय के निर्णय के अनुसार इस मामले में राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति को अधिकार नहीं दिया जाता है। मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव के पास ही यह अधिाकार रहता है। यहां तक कि इन मामलों की समीक्षा भी मुख्यमंत्री या गृहमंत्री नहीं करते हैं।

जम्बो नहीं छोटे सेंटर बनाएं

कोविड 19 प्रभावित मरीजों के उपचार के लिए फडणवीस ने सुझाव दिए है कि जम्बो के बजाए छोटे सेंटर बनाए जाए। उन्होंने कहा कि मुंबई व पुणे के जम्बो सेंटर उपचार व्यवस्था में असफल हुए हैं। कोविड टेस्टिंग के मामले में नागपुर मुंबई से भी आगे है।

Created On :   21 Sept 2020 7:00 PM IST

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