आयुध निर्माणी खमरिया सुरक्षा दांव पर बमों की जांच-पड़ताल की आड़ में मोबाइल पर रिकार्डिंग!

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आयुध निर्माणी खमरिया सुरक्षा दांव पर बमों की जांच-पड़ताल की आड़ में मोबाइल पर रिकार्डिंग!

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। विध्वंसक बमों से भरी मैग्जीन के भीतर दाखिल होने और फिर मोबाइल से पिक्चर शूट करने के मामले ने आयुध निर्माणी खमरिया के प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मचा दिया है। पता चला है कि निर्माणी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक जांच-पड़ताल के लिए मैग्जीन के भीतर दाखिल हुए और मोबाइल से कुछ हिस्सा शूट कर लिया, लेकिन इसी दौरान खुद पकड़ में आ गए। प्रशासन ने नोटिस थमाकर पूछा है कि बेहद संवेदनशील क्षेत्र में मोबाइल ले जाने और फिर शूट करने की जुर्रत कैसे की गई..? आयुध निर्माणी खमरिया में 84 एमएम से लेकर एंटी टैंक बमों का उत्पादन चल रहा है। चूंकि जुलाई तक पूरे टारगेट का एक तिहाई हिस्से का उत्पादन कम्प्लीट करना है लिहाजा, ओएफके सहित अन्य सभी निर्माणियों में प्रोडक्शन फुल रफ्तार में है। स्टोरेज में भी बमों की संख्या सामान्य से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में इस तरह की घटना कई सवालों को खड़ा करती है।

एचओएस ने रोका- मोबाइल एलाउ नहीं

ओएफके के फिलिंग सेक्शन एफ-6 में सुबह-सुबह निर्माणी के वरिष्ठ वैज्ञानिक निकलेश कुमार पाठक अपने किसी एक सहयोगी के साथ पहुंचे। सेक्शन के भीतर बनी मैग्जीन में दाखिल होने के लिए जैसे ही वैज्ञानिक ने कदम बढ़ाए, हैड ऑफ द सेक्शन (एचओएस) ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने मोबाइल प्रतिबंधित होने की जानकारी देते हुए उनसे सैल फोन बाहर करने की बात कही। सूत्रों का कहना है कि इसके कुछ देर बाद वैज्ञानिक मैग्जीन के भीतर दाखिल हो गए।

फ्लैश चमकते ही कर्मी अलर्ट
मैग्जीन के भीतर हजारों की तादाद में बमों के बीच वैज्ञानिक अपने काम में जुट गए। रूटीन प्रक्रिया होने के कारण सभी कुछ सामान्य जैसा रहा। मैग्जीनमें चूंकि बेहद सीमित स्टाफ को एंट्री दी जाती है। लिहाजा, भीतर स्टाफ के नाम पर एक-दो कर्मचारी ही रहे। सूत्रों का कहना है कि कामकाज के दौरान वैज्ञानिक ने न जाने कहाँ रखकर लाया गया मोबाइल बाहर निकाला और कैमरा ऑन कर लिया। फ्लैश चमकने के साथ ही किसी एक कर्मचारी ने यह सब कुछ देख लिया और एचओएस को तत्काल खबर की।

बगैर परमीशन मुमकिन नहीं

आयुध निर्माणी में किसी भी कर्मचारी के लिए मोबाइल भीतर ले जाने की रियायत नहीं है। अधिकारियों के लिए भी बंदिशें हैं। जानकारों का कहना है कि संवेदनशील क्षेत्रों में अधिकारियों को भी शूटिंग की इजाजत नहीं। किसी परीक्षण, एनालिसिस जैसे कारण होने पर पहले उच्च स्तर पर अनुमति ली जाती है इसके बाद ही शूटिंग की इजाजत दी जा सकती है। बहरहाल, इस मामले में प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि संबंधित वैज्ञानिक को शोकॉज नोटिस दिया गया है। जवाब आने के बाद आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी।

Created On :   23 July 2019 12:22 PM GMT

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